पाकिस्तानी पत्नी को वीजा न मिलने पर हाईकोर्ट में दायर याचिका, सत्यापन करने का निर्देश

पाकिस्तानी पत्नी को वीजा न मिलने पर हाईकोर्ट में दायर याचिका, सत्यापन करने का निर्देश

Tejinder Singh
Update: 2019-04-23 15:27 GMT
पाकिस्तानी पत्नी को वीजा न मिलने पर हाईकोर्ट में दायर याचिका, सत्यापन करने का निर्देश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई के फारेन रिजनल रजिस्ट्रेशन कार्यालय (एफआरआरओ) को पाकिस्तानी महिला से विवाह करनेवाले भारतीय नागरिक के पते का दोबारा सत्यापन करने का निर्देश दिया है और केंद्र सरकार के संबंधित विभाग को इसकी रिपोर्ट भेजने को कहा है। हाईकोर्ट में भारतीय नागरिक आमिर वडगामा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। वडगामा की पाकिस्तानी पत्नी को भारत आने के लिए वीजा नहीं मिल रहा है। वडगामा ने 27 मार्च 2017 को  पाकिस्तान स्थित कराची में मुस्लिम रीती-रिवाज के अनुसार पाकिस्तानी नागरिक राबिया अल्ताफ हुसैन से विवाह किया था। कुछ समय बाद पत्नी ने नियमों के तहत इस्लामाबाद स्थिति भारतीय दूतावास में 16 मई 2017 और 29 मई 2018 को विजिटर वीजा के लिए आवेदन किया था। लेकिन अब तक वीजा आवेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। लिहाजा वडगामा ने अधिवक्ता गणेश गोले के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। 

मंगलवार को वडगामा की याचिका न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता मोहम्मद अली चुनावाला ने एक पत्र के आधार पर कहा कि एफआरआरओ कार्यालय के अधिकारी याचिकाकर्ता के पते का सत्यापन करने की औपचारिकता पूरी की है। लेकिन जब पुलिस अधिकारी याचिकाकर्ता के बताए पते पर गए तो वहां पर याचिकाकर्ता नहीं मिला। इस तकनीकी आधार पर याचिकाकर्ता की पत्नी के वीजा आवेदन पर विचार नहीं किया गया है। वहीं याचिकाकर्ता के वकील गोले ने कहा कि मेरे मुवक्किल का पता पूरी तरह से सही है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने एफआरआरओ को दोबारा याचिकाकर्ता के पते का सत्यापन करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई 6 जून तक के लिए स्थगित कर दी। और याचिकाकर्ता को राज्य सरकार को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया। 

पाकिस्तानी महिला से विवाह पर नहीं है पाबंदी

याचिका में वडगामा ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा मेरी पत्नी के वीजा आवेदन पर फैसला न लेना मेरे अपनी पसंद से विवाह करने के मौलिक अधिकार व स्वतंत्र का उल्लंघन करता है। मौजूदा किसी भी भारतीय कानून में पाकिस्तानी नागरिक से विवाह करने पर प्रतिबंध नहीं है। अतीत में कई भारतीयों ने पाकिस्तान महिला ने विवाह किया है और बाद में उनकी पत्नी को विजिटर वीजा अथवा भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने एक फैसले में साफ किया कि जीवन के अधिकार (संविधान के अनुच्छेद) 21 का अर्थ है कि नागरिकों को अर्थपूर्ण जीवन जीने का अवसर मिले। जिससे वह अपनी पंरपराओं, संस्कृति, धरोहर का संरक्षण करते हुए अपना जीवन जी सके। इस लिहाज से  मेरी पत्नी के वीजा आवेदन को लेकर केंद्रीय विदेश मंत्रालय का रुख अतार्किक, भेदभाव व मनमानीपूर्ण है। 
 

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