रिपोर्ट : देश में तेजी से बढ़ रहा माउथ कैंसर, नागपुर में अबतक 114 मानसिक रोगियों की मौत

रिपोर्ट : देश में तेजी से बढ़ रहा माउथ कैंसर, नागपुर में अबतक 114 मानसिक रोगियों की मौत

Tejinder Singh
Update: 2020-02-04 16:56 GMT
रिपोर्ट : देश में तेजी से बढ़ रहा माउथ कैंसर, नागपुर में अबतक 114 मानसिक रोगियों की मौत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश में लगातार बढ़ रही कैंसर की समस्या बेहद चिंताजनक है और अब यह बीमारी हर आयुवर्ग के लोगों को हो रही है। 50 साल पहले देशभर के लिए अकेला टाटा कैंसर अस्पताल पर्याप्त था लेकिन अब यह बीमारी विकराल रूप लेती जा रही है और विभिन्न राज्यों में इस बीमारी से निपटने के लिए अस्पताल बनाने पड़ रहे हैं। जानेमाने कैंसर विशेषज्ञ और टाटा अस्पताल की शैक्षिक परियोजना के संस्थापक डॉ के एस शर्मा ने विश्व कैंसर दिवस पर मुंबई प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही। डॉ शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और टाटा ट्रस्ट मिलकर अलग-अलग राज्यों में कैंसर अस्पताल बना रहे हैं जिससे मरीजों और उनके परिजनों को मुंबई के चक्कर न लगाने पड़े। उम्मीद है कि इससे ज्यादा मरीजों की जान बचाई जा सकेगी। 

हर साल जांच कराए 50 साल आयु वाली महिलाएं

कार्यक्रम में शामिल हुए डॉ डावर ने कहा महिलाओं में गर्भाशय और स्तन का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है इसलिए युवतियों को अपने स्वास्थ्य पर खास ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब मैं जेजे अस्पताल में काम कर रहा था तो लगता था कि गरीब घरों की युवतियां जरूरी जांच कराने से कतरातीं हैं लेकिन बाद में समझ में आया कि रिलायंस फाउंडेशन में इलाज के लिए आने वालीं उच्च वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग की महिलाएं भी जांच की जरूरत नहीं समझ पातीं। जब तक वे इलाज के लिए आतीं हैं तब तक बहुत देर हो जाती है। डॉ डावर ने कहा कि 50 साल की उम्र पार कर चुकीं महिलाओं को हर साल जांच करानी चाहिए। कार्यक्रम के दौरान कैंसर को हराने वाली रोहिणी ने अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि बेहद सात्विक तरीके से जीवन जीने के बावजूद उनके पेट में कैंसर की गांठ हो गई। इस दौरान डॉक्टर और रिश्तेदारों ने उन्हें खूब सहारा दिया। कैंसर से उबर चुकीं अलका भुजबल के जीवन से जुड़ा एक वीडियो भी लोगों को दिखाया गया। भुजबल ने भी इस दौरान अपना अनुभव साझा किया और इलाज करने वाले डॉक्टर और नर्स को धन्यवाद दिया। संवाद की अध्यक्ष और अभिनेत्री प्रेमकिरण अपना अनुभव साझा करने के दौरान भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की मेहनत के चलते ही आज वे जिंदा हैं और उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए हर साल जांच करते रहना जरूरी है। 

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