IAS-IFS में नेत्रहिनों को मिले आरक्षण, हाईकोर्ट में दायर याचिका 

IAS-IFS में नेत्रहिनों को मिले आरक्षण, हाईकोर्ट में दायर याचिका 

Tejinder Singh
Update: 2018-11-14 15:39 GMT
IAS-IFS में नेत्रहिनों को मिले आरक्षण, हाईकोर्ट में दायर याचिका 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की ओर से ली जानेवाली परीक्षा के बाद सिविल सर्विसेस में होनेवाली नियुक्तियों में नेत्रहीनों के लिए भी अलग से पद आरक्षित किए जाने की मांग को लेकर बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि आईएएस, आईएफएस व आईआरएस के पद नेत्रहीनों के लिए भी आरक्षित किए जाए। साल 2017 में ली गई सिविल सर्विस की परीक्षा में 923 वां रैंक हासिल करने के बावजूद नौकरी से वंचित नेत्रहीन जयंत मनकाले ने यह याचिका दायर की है।

याचिका में दावा किया गया है कि सिविल सर्विस में नेत्रहीनों के लिए आरक्षित पद को कम दृष्टि से ग्रसित लोगों के खातिर आरक्षित पद के साथ सम्मिलित कर दिया गया है जिसके चलते वह नौकरी से वंचित हो गया है। याचिका में मांग की गई है कि सिविल सर्विसेस में नेत्रहीनों के लिए अलग से पद आरक्षित किए जाए। याचिका के अनुसार सिविल सर्विस में अलग-अलग श्रेणियों में 28 पद आरक्षित होते है। इसमे से आठ पद नेत्रहीन व कम दृष्टि की समस्या से ग्रसित  लोगों के लिए आरक्षित किए गए हैं। याचिका में मनकाले ने कहा है कि जब मैने परीक्षा दी थी तो सभी पदों पर कम दृष्टि से ग्रसित लोगों की नियुक्ति कर दी गई। नेत्रहीन उम्मीदवारों के बारे में विचार नहीं किया गया। जिससे मुझे नौकरी नहीं मिल पायी। 

वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश तलेकर के मार्फत दायर याचिका में कहा गया है कि नेत्रहीनों व कम दृष्टि की समस्या से ग्रसित लोगों के लिए पदों का वर्गीकरण किया जाए। इन दोनों लोगों को एक ही श्रेणी में सम्मिलित करना खास तौर से नेत्रहीनों के लिए उचित नहीं है। न्यायमूर्ति आरएम सावंत व न्यायमूर्ति नीतिन साब्रे की खंडपीठ ने याचिका पर उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद यूपीएसी व केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और मामले की सुनवाई 3 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। 
 

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