मुंबई की सड़के ऐसी नहीं की यहां 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सके वाहन-हाईकोर्ट

मुंबई की सड़के ऐसी नहीं की यहां 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सके वाहन-हाईकोर्ट

Anita Peddulwar
Update: 2019-09-10 12:50 GMT
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डिजिटल डेस्क, मुंबई।  बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि मुंबई के सड़कों की स्थिति ऐसी नहीं है कि यहां पर 80 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गाड़ी चलाई जा सके। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक गैर सरकारी संस्था की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की है। याचिका में मांग की गई है कि वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने के संबंध में सरकार की ओर से लिए गए निर्णय को कड़ाई से लागू करने का निर्देश दिया जाए। स्पीड गवर्नर एक उपकरण है जिससे वाहनों की गति को नापा जाता है और नियंत्रित किया जाता है। याचिका में दावा किया गया है कि स्कूल बस व अन्य वाहन गति से जुड़े नियमों का उल्लंघन करते हैं। 

मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ ने कहा कि मुंबई में सड़कों की हालत ऐसी है कि वाहनों की गति से जुड़ी समस्या का अपने आप समाधान हो गया है। राज्य सरकार ने मई 2017 में काली-पीली व ऐप आधारित टैक्सियों तथा टेंपो को स्पीड गवर्नर लगाने का निर्देश दिया था। जिसके तहत टैक्सियों को 80 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से अधिक की गति गाड़ी चलाने से रोका गया था। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि प्राधिकरण महामार्ग व फ्री वे का निर्माण करते है और फिर दावा करते है कि शहर से एक छोर से दूसरे छोर की दूरी कुछ मिनटो में तय की जा सकेगी। लेकिन बाद में इस महामार्ग व फ्री वे में वाहनों की चलने की एक सीमित गति तय कर दी जाती है। प्रसंगवश खंडपीठ ने यमुना एक्सप्रेस वे का उदाहरण दिया। खंडपीठ ने कहा कि जब यह एक्सप्रेस वे बना था तो दावा किया गया था कि दिल्ली से आगरा के बीच की दूरी दो घंटे से कम समय मे तय की जा सकेगी। लेकिन बाद में यमुना एक्सप्रेस में चलने की गति 62 किमी प्रतिघंटा तय कर दी गई। 

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