संजीव भट्ट को मिली मोदी के खिलाफ बोलने की सजा -  पूर्व आईपीएस की पत्नी का आरोप  

संजीव भट्ट को मिली मोदी के खिलाफ बोलने की सजा -  पूर्व आईपीएस की पत्नी का आरोप  

Tejinder Singh
Update: 2019-07-10 16:47 GMT
संजीव भट्ट को मिली मोदी के खिलाफ बोलने की सजा -  पूर्व आईपीएस की पत्नी का आरोप  

डिजिटल डेस्क, मुंबई। हिरासत में कैदी की मौत के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता का आरोप है कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलने की सजा मिल रही है। श्वेता और उनके बेटे शांतनु भट्ट मुंबई में कैंपेन फॉर जस्टिस नाम के एक कार्यक्रम में शामिल हुए। यहां एक्टिविस्टों और मीडिया को संबोधित करते हुए श्वेता ने दावा किया कि उनके परिवार को पिछले कई सालों से निशाना बनाने की कोशिश हो रही है।

श्वेता ने कहा कि 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के बाद जमजोधपुर कस्बे में दंगे हुए थे। इस मामले में 133 लोगों को हिरासत में लिया गया था। उस वक्त संजीव भट्ट उस जगह से काफी दूर थे साथ ही वह मामला भी उनके कार्यक्षेत्र से बाहर का था। उन्होंने कहा कि पुलिस के पास ऐसा कोई गवाह नहीं था जिसने संजीव भट्ट को आरोपियों को गिरफ्तार करते या उनसे पूछताछ करते देखा हो। इसके बावजूद पुलिस सितंबर 2018 में उनके घर आई और संजीव को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उन्हें कभी जमानत नहीं दी गई।

श्वेता ने कहा कि मोदी के खिलाफ आवाज उठाने के चलते उनकी सुरक्षा वापस ले ली गई। श्वेता के मुताबिक जनवरी महीने में एक डंपर ने उनकी कार को टक्कर मारी। जिस डंपर ने टक्कर मारी उस पर नंबर प्लेट नहीं था और जिस सड़क पर यह हुआ उस पर भारी वाहनों को आने की इजाजत भी नहीं थी। श्वेता ने कहा कि उनके घर को तोड़ डाला गया और फिर इसके लिए ढाई लाख रुपए का बिल भी पकड़ा दिया गया।

दरअसल संजीव भट्ट को साल 1990 में पुलिस हिरासत में एक शख्स की मौत के मामले में उम्रकैद की सजा हुई है। गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे संजीव भट्ट ने साल 2002 दंगों से निपटने के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के तरीके पर सवाल उठाए थे।  उन्हें साल 2011 में निलंबित कर दिया गया था जिसके बाद साल 2015 में गृहमंत्रालय ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। 

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