महिम दरगाह और कब्रिस्तान में करनी होगी समाज सेवा, हाईकोर्ट ने सुनाया अनोखा फैसला, युवकों को अच्छे अंक लाने की नसीहत

महिम दरगाह और कब्रिस्तान में करनी होगी समाज सेवा, हाईकोर्ट ने सुनाया अनोखा फैसला, युवकों को अच्छे अंक लाने की नसीहत

Tejinder Singh
Update: 2019-02-22 14:40 GMT
महिम दरगाह और कब्रिस्तान में करनी होगी समाज सेवा, हाईकोर्ट ने सुनाया अनोखा फैसला, युवकों को अच्छे अंक लाने की नसीहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मारपीट करने के मामले से जुड़े मामले में अनोखा फैसला सुनाया। कोर्ट ने चार युवको के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करते हुए उन्हें समाज सेवा (कम्युनिटी सर्विस) के लिए भेजा है। समाज सेवा के रुप में इन युवकों को चार हफ्ते तक हर रविवार को सुबह 11 बजे से दोपहर दो बजे के बीच महिम दरगाह में समाज सेवा करनी पड़ेगी। दो युवकों को दरगाह में काम करना पड़ेगा और दो को कब्रिस्तान में जाकर साफ सफाई करनी पड़ेगी। तीन मार्च से इन युवकों के काम की शुरुआत होगी।

गौरतलब है कि अब्दुल रहीम अंसारी अपने दोस्त मोहम्मद अतहर शेख के साथ 3 दिसंबर 2017 को माहिम मेले में घूमने के लिए गए थे। इस दौरान वहां पर किसी बात को लेकर उनकी आशुतोष मेहर व भूषण पेंडनेकर नाम के युवको के साथ धक्का मुक्की हो गई।  गुस्से में हुई बातचीत के बाद चारों ने एक दूसरे के साथ मारपीट शुरु कर दी। इसके बाद मेहर व पेंडनेकर  ने अंसारी तथा शेख के खिलाफ चार दिसंबर 2017 को  माहिम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। अंसारी व शेख ने भी मेहर व पेंडनेकर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 323,324,141,143 व 149 के तहत मामला दर्ज किया।

इसके बाद इन आरोपियों को कोर्ट से जमानत मिल गई। चार युवकों ने अापसी सहमति अब मामले को सुलझा लिया है। इसलिए मामले को रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान युवाओं की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने अपने मामले को आपसी सहमति से बगैर किसी दबाव को सुलझा लिया है अब इस मामले को प्रलंबित रखने का कोई अर्थ नहीं है। इस बीच न्यायमित्र के रुप में पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रिजवान मर्चेंट ने कहा कि इस तरह के छोटे आपराधिक मामलों को पुलिस स्टेशन स्तर पर ही सुलझाया जाना चाहिए।

इससे अदालत के समय की बचत होगी। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि वे इस मामले को रद्द कर देगे बशर्ते युवक समाज सेवा के लिए तैयार हो। इस पर युवकों ने समाज सेवा के लिए रजामंदी जाहिर की। इसके बाद खंडपीठ ने चारों युवकों को माहिम दरगाह में समाज सेवा के लिए भेजा। इसके साथ युवकों को ठीक तरह से पढाई करने व अच्चे अक लाने की भी नसीहत दी। 

 

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