बारिश की बेरुखी से अटकी धान की रोपाई, मंडरा रहा सूखे की खतरा

बारिश की बेरुखी से अटकी धान की रोपाई, मंडरा रहा सूखे की खतरा

Anita Peddulwar
Update: 2018-08-06 09:26 GMT
बारिश की बेरुखी से अटकी धान की रोपाई, मंडरा रहा सूखे की खतरा

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। बारिश के नदारद होने से जिले की मुख्य फसल धान पर खतरा मंडराने लगा है। धान को अन्य फसलों की तुलना में ज्यादा पानी की जरूरत होती है। ऐसे में जिले में गत पखवाड़े से बारिश नहीं होने से धान की रोपाई अटक गई है। कई स्थानों पर रोपे गए धान के पौधे सूखने लगे हैं। यही नहीं अधिकांश स्थानों पर बीमारी व इल्लियों का प्रकोप विविध फसलों पर देखा जा रहा है। ऐसे में विवश होकर कृषि विभाग के अधिकारी अपने स्तर पर किसानों का मार्गदर्शन कर बीमारी व इल्लियों से फसलों को बचाने की सलाह देता नजर आ रहे हैं। बारिश की बेरुखी से धान पट्टे के किसानों पर सूखे का साया मंडराता नजर आ रहा है। 

गौरतलब है कि नदी, नाले, तालाब और बांधों में भी पर्याप्त जलभंडारण नहीं हो पाने से अनेक किसानों को सिंचाई से वंचित रहना पड़ सकता है। ऐसे में जिले पर सूखे का संकट आने का संदेह कृषि क्षेत्र के जानकार जता रहे हैं। जिले में कपास, सोयाबीन के साथ धान को मुख्य फसल के रूप में बोया जाता है। कुल 15 में से मूल, सावली, सिंदेवाही, ब्रह्मपुरी, नागभीड़, पोंभुर्णा, गोंडपिपरी, चिमूर, राजुरा जैसी तहसीलों में धान की फसल बडे़ पैमाने पर ली जाती है।

कृषि विभाग के मुताबिक जिले में धान की 75 प्रतिशत रोपाई पूरी हो चुकी है, परंतु बारिश के गायब होने से शेष रोपाई अटक गई है। इस बीच विविध बीमारियों व इल्लिों का प्रकोप फसलों पर होने लगा है। इसलिए कृषि विभाग अपने स्तर पर किसानों के बांधों तक पहुंचकर उनका विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन करने में जुट गया है। 

जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी वानखेड़े ने बताया कि लगभग पिछले 10 दिनों से बारिश नहीं होने के कारण धान की फसल पर विविध बीमारियां फैलने लगे हैं। नागभीड़ तहसील के तलोधी निवासी किसान तुलसीराम सोनटक्के का कहना है कि धान की फसल पर गेवर्या नामक बीमारी लग रही है। इससे किसान संकट में आ गया है। रोपाई वाले क्षेत्र में फसल पर ज्यादा बीमारियां हो रही हैं।  उस पर शेष रोपाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं है। दवा का छिड़काव कैसे करें? यह सवाल उठ रहा है।

मूल तहसील के मारोडा निवासी किसान योगराज निमगड़े ने बताया कि दवा का छिड़काव करने के बाद भी बीमारी नियंत्रण में नहीं आ रही है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भी इसी तरह धान की फसल पर विविध इल्लियों व बीमारियों का संक्रमण हुआ था। जिससे अधिकांश किसानों का उत्पादन घटा था। इस बार भी यही स्थितियां नजर आने से किसान परेशान हैं। वे किसानों से मदद की मांग कर रहे हैं। 

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