मेट्रो कारशेड जमीन विवाद में राज्य सरकार को झटका, स्थानांतरण और निर्माण कार्य पर रोक

मेट्रो कारशेड जमीन विवाद में राज्य सरकार को झटका, स्थानांतरण और निर्माण कार्य पर रोक

Tejinder Singh
Update: 2020-12-16 12:54 GMT
मेट्रो कारशेड जमीन विवाद में राज्य सरकार को झटका, स्थानांतरण और निर्माण कार्य पर रोक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मेट्रो कारशेड जमीन के मालिकाना हक से जुड़े विवाद में राज्य सरकार को तगड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने बुधवार को कारेशेड के लिए कांजुर मार्ग की 102 एकड़ जमीन स्थानांतरित करने से जुड़े मुंबई उपनगर के कलेक्टर के आदेश पर रोक लगा दी है। यहीं नहीं इस जमीन पर कोर्ट ने मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण को किसी प्रकार का निर्माण कार्य करने से भी रोक दिया है। साथ ही मेट्रो का काम भी थम गया है। हाईकोर्ट में जमीन के मालिकाना हक को लेकर केंद्र व राज्य सरकार आमने सामने हैं। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के जमीन स्थनांतरण के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया कि कलेक्टर की ओर से जमीन के स्थनांतरण के विषय में 1 अक्टूबर 2020 को जारी किया गया आदेश अवैध है। इसलिए इसे रद्द किया जाए, अथवा अंतरिम राहत के तौर पर इस पर रोक लगाई जाए। क्योंकि जमीन का मालिकाना हक केंद्र सरकार के पास है। यह खार जमीन (साल्ट लैंड) है और काफी समय से इस पर साल्ट विभाग का कब्जा है। केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा। पहले मेट्रो का कारशेड गोरेगांव स्थित आरे में बनना था, लेकिन बाद में महाविकास आघाड़ी की सरकार ने कारशेड का स्थान बदलकर कांजुरमार्ग कर दिया। 

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि हम इस विषय पर कलेक्टर के आदेश को कायम नहीं रख सकते है। लिहाजा हम याचिका को विचारार्थ मंजूर करते हैं और केंद्र सरकार के आग्रह के तहत उन्हें अंतरिम राहत प्रदान करते हैं। जिसके अंतर्गत मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण को जमीन स्थनांतरण से जुड़े कलेक्टर के 1 अक्टूबर 2020 के आदेश पर रोक लगाई जाती है और वहां पर प्राधिकरण को किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य करने से रोका जाता है। 

सोमवार को खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार को जमीन स्थानांतरण से जुड़े आदेश को वापस लेने के बारे में विचार करने का सुझाव दिया था। बुधवार को राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि राज्य सरकार जमीन स्थनांतरण से जुड़े आदेश को वापस लेने को तैयार है, केंद्र सरकार का पक्ष भी इसे सुनने को राजी है, लेकिन जमीन पर निर्माण कार्य जारी रहेगा। वर्तमान में मेट्रो कारशेड की जमीन का भूमि परीक्षण किया जा रहा है। 

इस पर खंडपीठ ने कहा कि जब हमने प्रथम दृष्टया राय व्यक्त की है कि जमीन स्थनांतरण को लेकर कलेक्टर का आदेश जारी नहीं रह सकता, तो हम निर्माण कार्य शुरु रखने की इजाजत कैसे दे सकते हैं। इसलिए कलेक्टर के आदेश पर रोक लगाई जाती है और याचिका को विचारार्थ मंजूर किया जाता है, हालांकि सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने दावा किया था कि जमीन का मालिकाना हक उसके पास 1981 से है। यह उनकी जमीन है।

 

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