विलीनीकरण पर राज्य सरकार की चुप्पी, कर्मचारियों को लेकर हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश

एसटी विलीनीकरण पर राज्य सरकार की चुप्पी, कर्मचारियों को लेकर हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश

Tejinder Singh
Update: 2021-12-20 14:50 GMT
विलीनीकरण पर राज्य सरकार की चुप्पी, कर्मचारियों को लेकर हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एसटी महामंडल) के कर्मचारियों की जारी हड़ताल के बीच राज्य सरकार ने कर्मचारियों की मांग को लेकर बांबे हाईकोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में विलीनीकरण के मुद्दे पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। लिहाजा कर्मचारियों के संगठन ने इस रिपोर्ट को लेकर असंतोष व्यक्त किया। सरकार की ओर से दी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि महामंडल के राज्य सरकार में विलय की स्थिति में किस तरह की प्रशासकिय स्थिति पैदा होगी। इस हालत में कर्मचरियों के सेवा का स्वरुप कैसे बनेगा। इसलिए जब तक इन तमाम पहुलओं पर गहराई से अध्ययन पूरा नहीं हो जाता, तब तक कर्मचारियों की विलीनीकरण की मांग पर विचार करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी के लिए अपना प्रारंभिक मत दे पाना संभव नहीं होगा। कमेटी का अध्ययन अभी भी जारी है। एसटी महामंडल के कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान माना जाए। 

राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता सीके नायडू ने न्यायमूर्ति पीबी वैराले की खंडपीठ के सामने कहा कि राज्य सरकार ने कर्मचारियों के आर्थिक हित को ध्यान में रखा है। इसके तहत सरकार की ओर से कर्मचारियों को वेतन वृद्धि, उनकी बकाया राशि व वरिष्ठता के हिसाब से उन्हें पदोन्नति भी दी है। इस पर कर्मचारी संगठन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता गुणरत्न सदाव्रते ने कहा कि विलिनीकरण के मुद्दे पर कमेटी ने कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि अब तक 54 कर्मचारी आत्महत्या कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कर्मचारी संगठन हड़ताल पर नहीं बल्कि कर्मचारियों की मौत के चलते शोक पर हैं। इसलिए वे काम पर नहीं लौट रहे है। इस दौरान उन्होंने 48 हजार कर्मचारियों के आवेदन भी कोर्ट के सामने रखे। 

जारी करेंगे न्यायालय की अवमानना का नोटिस 

मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि स्कूल व कालेज खुल गए है। इसलिए एसटी कर्मचारी स्कूल जानेवाले बच्चों की परेशानी को समझे और काम पर लौटे। खंडपीठ ने कहा कि अब हम इस मामले में न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी करेंगे। इस पर अधिवक्ता सदाव्रते ने कहा कि वे 48 हजार कर्मचारियों के आवेदन लेकर आए। इसलिए हर कर्मचारी को व्यक्तिगत रुप से नोटिस जारी की जाए। उन्होंने कहा कि उन्हें शिवसेना के नेता सुभाष देसाई ने पूछा था कि वे कोर्ट के सामने क्या कहेंगे। हालांकि सरकारी वकील ने खंडपीठ के सामने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। खंडपीठ ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई बुधवार को रखी है। 


 

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