ओबीसी आरक्षण को लेकर बदला राज्य सरकार का रुख, आयोग जुटाएगा पिछड़ेपन के आंकड़े

ओबीसी आरक्षण को लेकर बदला राज्य सरकार का रुख, आयोग जुटाएगा पिछड़ेपन के आंकड़े

Tejinder Singh
Update: 2021-07-01 15:57 GMT
ओबीसी आरक्षण को लेकर बदला राज्य सरकार का रुख, आयोग जुटाएगा पिछड़ेपन के आंकड़े

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में ओबीसी का अनुभवजन्य आंकड़ा (इंपेरिकल डेटा) केंद्र सरकार से मांगने वाली महाविकास आघाड़ी सरकार ने नरम रुख अख्तियार कर लिया है। राज्य सरकार ने महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को राज्य स्थानीय निकाय सीमा क्षेत्रों में पिछड़ेपन के स्वरूप और परिणाम की कड़ाई से जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी है। आयोग को अभिलेखों, रिपोर्ट, सर्वेक्षण और अन्य उपलब्ध जानकारी के आधार पर राज्य के ग्रामीण इलाके यानी गांव, तहसील, जिलेवार और शहरी इलाकों में मनपा, नगर पालिका और नगर परिषद क्षेत्र में वार्डवार कुल जनसंख्या में से पिछड़े वर्ग के नागरिकों की जनसंख्या का प्रमाण निश्चित करना होगा। 

इस संबंध में सरकार के अन्य पिछड़ा बहुजन कल्याण विभाग ने अधिसूचना जारी की है। इसके अनुसार आयोग अनुभवजन्य आंकड़ा जुटाने के लिए समय- समय पर विशेषज्ञ, अनुसंशाधनकर्ता और नामचीन अनुसंशाधन संस्था की मदद ले सकेगा। इसके बाद आयोग को सरकार को वस्तुस्थिति और सिफारिश रिपोर्ट देनी होगी। आयोग आंकड़ों को जुटाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के कार्यालयों, सार्वजनिक उपक्रमों, आस्थापना, विश्वविद्यालय और अन्य संस्था व प्राधिकरण से जानकारी हासिल कर सकता है। 

प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के स्थानीय निकायों के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के राजनीतिक आरक्षण रद्द करने के फैसले को लेकर गरमाई राजनीति के बीच सरकार का यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है। क्योंकि अब तक सरकार के कई मंत्री सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी के अनुभवजन्य आंकड़ा पेश करने के लिए केंद्र सरकार को साल 2011 के जनगणना के आंकड़े को साझा करने की मांग कर रहे थे। जबकि विपक्षी दल भाजपा दावा कर रही थी कि ओबीसी का अनुभवजन्य आंकड़ा जुटाने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की है। इसको लेकर सत्तारूढ़ और विपक्षी दल में जुबानी जंग शुरू हो गई थी। लेकिन अब सरकार ने अधिसूचना जारी करके राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की कार्यकक्षा तय की है। इससे पहले सरकार ने बीते 28 जून को ओबीसी आरक्षण रद्द होने के चलते राज्य के पांच जिला परिषद और पंचायत समितियों के रिक्त सीटों पर 19 जुलाई को होने वाले उपचुनाव को छह महीने के लिए रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी। 

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