दो माह में राज्य मानवाधिकार आयोग को मिल जाएंगे नए अध्यक्ष 

दो माह में राज्य मानवाधिकार आयोग को मिल जाएंगे नए अध्यक्ष 

Tejinder Singh
Update: 2021-07-12 14:00 GMT
दो माह में राज्य मानवाधिकार आयोग को मिल जाएंगे नए अध्यक्ष 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि दो माह के भीतर राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्त कर दी जाएगी। सहायक सरकारी वकील निशा मेहरा ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। हाईकोर्ट में पेशे से वकील वैष्णवी घोलवे की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में दावा किया गया है कि आयोग में चेयरमैन का पद तीन सालों से रिक्त है। जबकि आधे से अधिक पद भी आयोग में रिक्त है। इसके अलावा आयोग में संसाधनों व सुविधाओं की कमी है। इसलिए सरकार को आयोग के रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया जाए और आयोग को जरुरी इनफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने के लिए कहा जाए। जिससे वह प्रभावी ढंग से काम कर सके। सोमवार को यह याचिका मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान सरकारी वकील मेहरा ने कहा कि आयोग के चेयरमैन व सदस्यों की चयन की प्रक्रिया दो माह में पूरी कर ली जाएगी। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद चयन कमेटी द्वारा चयनित नामों से जुड़े प्रस्ताव को राज्यपाल के पास मंजूरी व नियुक्ति पत्र जारी करने के लिए भेजा जाएगा। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई को 13 सितंबर 2021 तक के लिए स्थगित कर दी। खंडपीठ ने कहा कि हम आगे सरकार को इस मामले में और समय विस्तार नहीं देंगे। वहीं याचिकाकर्ता के वकील यशोदीप देशमुख ने कहा कि पहले हम चाहते हैं कि आयोग के चेयरमैन की नियुक्ति हो। बाद में अन्य विषयों को उठाया जाएगा। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने आयोग के चेयरमैन सहित वहां पर आधे से अधिक पदों के रिक्त होने को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। 

याचिका में दावा किया गया है कि आयोग के चेयरमैन का पद तीन सालों से रिक्त है। आयोग के लिए 51 पद मंजूर किए गए है। इसमें अब तक सिर्फ 26 पद भरे गए हैं। इसके आलावा आयोग के पांच महत्वपूर्ण पद रिक्त हैं, जिसमें आयोग के चेयरमैन, न्यायिक सदस्य, विशेषज्ञ सदस्य व पुलिस महानिरीक्षक के पद खाली हैं। याचिका में दावा किया गया है कि मानवाधिकार के उल्लंघन से जुड़े मामलों को सुनने के लिए आयोग एकमात्र फोरम है। इसलिए आयोग में ऑनलाइन सुनवाई की भी सुविधा भी प्रदान करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है। 

 

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