ऑनलाइन खेल ‘पब-जी’ पर रोक लगाने नाबालिग ने लगाई याचिका, नदियों के संरक्षण के लिए भी सरकार को निर्देश

ऑनलाइन खेल ‘पब-जी’ पर रोक लगाने नाबालिग ने लगाई याचिका, नदियों के संरक्षण के लिए भी सरकार को निर्देश

Tejinder Singh
Update: 2019-01-31 17:14 GMT
ऑनलाइन खेल ‘पब-जी’ पर रोक लगाने नाबालिग ने लगाई याचिका, नदियों के संरक्षण के लिए भी सरकार को निर्देश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आनलाइन खेल ‘पब-जी’ पर रोक लगाने की मांग को लेकर एक 11 वर्षीय बच्चे ने बांबे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। अपनी मां के माध्यम से याचिका दायर करनेवाले अहद निजाम ने याचिका में दावा किया है कि यह खेल हिंसा, आक्रोश, मारपीट को बढावा देता है। इसलिए अदालत महाराष्ट्र सरकार को इस खेल पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दे। इसके पहले निजाम ने इस गेम पर रोक लगाने के लिए सरकार को भी पत्र लिखा। याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार को एक कमेटी बनाने का निर्देश दिया जाए जो इस तरह के हिंसक खेलों को आनलाइन अपलोड करने से रोके और उस पर नजर रखे।  मुख्य न्याधीश नरेश पाटील की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर जल्द ही सुनवाई हो सकती है। याचिका के अनुसार पब-जी ऐसा आनलाइन खेल है जिसमें दो लोग व उससे अधिक लोग इस खेल को खेलते है। 

जेल परिसर के 150 मीटर के दायरे में निर्माण कार्य की अनुमति देने से हाईकोर्ट ने किया इंकार
    
बांबे हाईकोर्ट ने उच्चाधिकार कमेटी के उस निर्णय पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है जिसके तहत आर्थर रोड जेल परिसर के 150 मीटर के दायरे में निर्माण कार्य पर रोक लगाई गई थी। एक डेवलपर ने इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें उच्चाधिकार कमेटी के जेल के 150 मीटर के दायरे में निर्माण कार्य की अनुमति न देने के निर्णय को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हमे  एसआरए की उच्चाधिकार कमेटी के आदेश में कोई खामी नजर नहीं आती है। इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है। 

नदियों के संरक्षण के लिए महाराष्ट्र सरकार बनाए अंतरिम व्यवस्था    

इसके अलावा एक सुनवाई में बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार की नदियों के नियमन की नीति तैयार होने तक महाराष्ट्र सरकार नदियों के संरक्षण व प्रदूषण को रोकने के लिए अंतरिम व्यवस्था बनाए। ताकि नदियों के किनारों की सुरक्षा की जा सके। इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता गायत्री सिंह ने कहा कि  महाराष्ट्र सरकार ने 17 साल पहले ही नदी नियमन के लिए अपनी रिपोर्ट भेज दी थी। फिर भी अभी  तक केंद्र  की नदी नियमन नीति नहीं तैयार हो पायी। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार को नदियों की सुरक्षा के लिए अंतरिम व्यवस्था व सतर्कता बरतने को कहा। वनशक्ति नामक गैर सरकारी संस्था ने नदियों के किनारों पर निर्माण कार्य पर रोकने व प्रदूषण को रोकने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। 

इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता मोहम्मद चुनावाला ने कहा कि केंद्र सरकार ने नदी नियमन नीति का मसौदा तैयार कर लिया है। इस मामले में उसे महाराष्ट्र समेत 13 राज्यों की रिपोर्ट व सुझाव मिल चुके है। वह अन्य राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों का इस मामले में सुझावों व रिपोर्ट का इंतजार कर रहे। जिन राज्यों के सुझाव मिल गए है उन्हें केंद्र सरकार की तकनीकि समिति अध्ययन कर रही है। इस पर याचिकाकर्ता की वकील ने कहा कि केंद्र सरकार अब तक नदियों के नियमन से जुड़ी नीति को अंतिम रुप नहीं दे पायी है। अभी कितना वक्त लगेगा इसका कोई अंदाजा नहीं है। इधर महाराष्ट्र सरकार के पास नदियों के संरक्षण को लेकर कोई नीति नहीं है। इसलिए राज्य सरकार को केंद्र की नीति तैयार होने तक नदियों के किनारों पर निर्माण कार्य रोकने व प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए व्यवस्था बनाने का निर्देश दिया जाए। क्योंकि नदियों के किनारे रिजार्ट बन रहे है। उन्होंने कहा कि नदि के किनारे से एक दूरी तय की  जाए की वहां तक निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही केंद्र को एक निश्चित समय सीमा में नीति बनाने के लिए कहा जाए। 

इस बीच राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने ने कहा कि नदियों में सबसे ज्यादा अनट्रिटेड नालों का गंदा पानी छोड़ने चलते होता है। प्रदूषण के मुद्दे पर उद्योगजगत को लेकर महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कड़ा रुख अपनाया है। नदियों को प्रदूषित करनेवाले सौ से अधिक कारखानों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इसके अलावा सरकार नदियों के किनारों को चिन्हित करने के लिए नीली व लाल लाइन खीचेगी। फिलहाल जरुरी एनओसी के बिना निर्माण कार्य नहीं हो सकता है। इस दिशा में सरकार उल्हास,वैतरणा व तानसा नदी के किनारे ऐसा करेगी। इस काम में तीन महीने का वक्त लगेगा। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी। 

 

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