केंद्र सरकार के दबाव में सुप्रीम कोर्ट ने बदला रुख - बार एसोसिएशन

केंद्र सरकार के दबाव में सुप्रीम कोर्ट ने बदला रुख - बार एसोसिएशन

Tejinder Singh
Update: 2019-09-26 16:05 GMT
केंद्र सरकार के दबाव में सुप्रीम कोर्ट ने बदला रुख - बार एसोसिएशन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट के वकीलों के प्रतिष्ठित संगठन बांबे बार एसोसिएशन (बीबीए) ने प्रस्ताव पारित कर बांबे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अकिल कुरेशी के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम के निर्णय लेने की प्रक्रिया की निंदा की है। सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने 10 मई 2019 को प्रस्ताव पारित कर पहले न्यायमूर्ति कुरेशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रुप में नियुक्त करने की अनुशंसा की थी लेकिन जब चार महीने तक केंद्र सरकार ने अनुशंसा पर कुछ नहीं किया तो बाद में कोलेजियम ने 5 सितंबर को अपने प्रस्ताव में बदलाव कर न्यायमूर्ति कुरेशी को त्रिपुरा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति करने की अनुशंसा की। यह प्रस्ताव 20 सितंबर को प्रकाशित किया गया।

न्यायमूर्ति कुरेशी के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति का मामला 

बीबीए ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि उन्हें यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के इशारे पर कुरेशी के संबंध में पहले की अपनी अनुशंसा बदलाव किया है। जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता का संकुचन है। इसका पूरी न्यायपालिका के कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। यह न्यायाधीश को निर्भिकता व निष्पक्षता के साथ अपने संवैधानिक दायित्वों के निवर्हन को भी प्रभावित करेगा। बीबीए का मत है कि न्यायमूर्ति कुरेशी की मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने किस वजह से अपने पहले के प्रस्ताव में बदलाव किया है इसके कारणों खुलासा होना जरुरी है। यह न्यायपालिका व न्याय प्रशासन के हित में है। इस पूरे मामले में जिस तरीके से केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप किया है उस पर बीबीए ने अपनी कड़ी असहमति व्यक्त करती है। और कहा है कि यह न्याय पालिका की स्वतंत्रता के लिए भयसूचक है। 
 

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