सर्वश्रेष्ठ महिला सांसद चुनी गईं सुप्रिया सुले, मनमोहन-मुलायम को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड

सर्वश्रेष्ठ महिला सांसद चुनी गईं सुप्रिया सुले, मनमोहन-मुलायम को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड

Tejinder Singh
Update: 2019-12-11 11:32 GMT
सर्वश्रेष्ठ महिला सांसद चुनी गईं सुप्रिया सुले, मनमोहन-मुलायम को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकतंत्र में सत्ता दल प्रस्ताव करता है, विपक्ष विरोध और संसद उसपर फैसला सुनाती है. यह बात उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने राजधानी दिल्ली के आंबेडकर इंरटनेश्नल सेंटर में लोकमत संसदीय पुरस्कार समारोह 2019 के दौरान कही। मंगलवार को उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सांसदों को लोकतंत्र में अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है, लेकिन अपने कर्तव्यों के निर्वाहन के लिए उन्हें संसदीय गरिमा के दायरे में अपनी बात रखनी चाहिए. अध्यक्ष या सभापति के आसन के निकट पहुंचकर हंगामा करने वाले सांसदों को नसीहत देते हुए उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता शरद पवार का उदाहरण दिया कि उन्होंने स्वंय अथवा अपने दल के सांसदों को कभी सदन में अव्यवस्था फैलाने की अनुमति नहीं दी. 

भारतीय लोकतंत्र में विरोध की अपनी भूमिका है जिसके तहत उसे आलोचना करने का पूरा अधिकार है लेकिन आलोचना करते समय उसे अपने संसदीय धर्म को भी ध्यान में रखना चाहिए. उपराष्ट्रपति ने मीडिया की कड़ी अलोचना करते हुए व्यंगात्मक लहजे में कहा कि टीआरपी बढ़ाने के लिए खबरों को तोड़मरोड़कर सनसनीखेज बनाकर पेश करते हैं. जिससे उन्हें बचना चाहिए. उन्होंने सोशल मीडिया को लेकर फेक न्यूज की भी कड़ी आलोचना की. 

इस अवसर पर पूर्वप्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव को उनकी अभूतपूर्व सेवा के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. अन्य जिन सांसदों को इन पुरस्कारों से नवाजा गया उनमें सर्वश्रेष्ठ सांसद-  सौगत राय, सर्वश्रेष्ठ महिला सांसद- सुप्रिया सुले और पहली बार से संसद पहुंची सर्वश्रेष्ठ महिला सांसद - भारती प्रवीण पवार को दिया गया। राज्यसभा से सर्वश्रेष्ठ सांसद-तिरुचि शिवा, सर्वश्रेष्ठ महिला सांसद- विप्लव ठाकुर और कहकशां परवीन को प्रथम बार चुनी गई सर्वश्रेष्ठ महिला सांसद के रूप में सम्मानित किया गया. 

इस अवसर पर समाचार पत्र समूह के अध्यक्ष एंव पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा ने कहा कि संसद सदस्य विवध भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हैं. कानून बनाना उनमें से केवल एक है. राजनीति में उनकी सबसे अहम भूमिका हमारे प्रतिनिधि के तौर पर है. हर सदस्य सदन, समितियों, निर्वाचन क्षेत्र, पार्टी सदस्य जैसे विभिन्न सतरों पर देश के सामने काम करता है. वह लोगों, संसद और सरकार के बीच संवाद सेतु की भूमिका निभाता है. सही मायनों में यह जनसेवा के लिए निज त्याग करता है और उसका काम वाकई मुश्किल और सबसे ज्यादा चुनौती भरा होता है. 

पुरस्कार ज्यूरी बार्ड के अध्यक्ष शरद पवार ने लोकमत की इस पहल की प्रशंसा करते हुए सासंदों का संसद में बेहतर योगदान करने का आवाहन किया. उन्होंने कहा कि लोकमत का यह प्रयास संसद सदस्यों को प्रोत्साहित कर संसद में बेहतर योगदान के लिए प्रेरित करेंगे. इससे पहले लोकमत कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया. जिसमें "भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका" पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर, एआईएमआईएम के अध्यक्ष सांसद असदुद्दीन ओवैसी एवं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने अपने विचार रखे. 

संसदीय पुरस्कार समारोह वर्ष 2017 में प्रारंभ किया गया था. जिसके बाद से लगातार इस समारोह का आयोजन किया जाता रहा है. 2018 में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, एनके प्रेमचंद्रन, निशीकांत दुबे, सुष्मिता देव, रमादेवी, मीनाक्षी लेखी और हेमा मालिनी को दिए गए थे. जबकि पहली बार शरद यादव, शरद पवार, सीताराम येचुरी, गुलाम नबी आजाद, जया बच्चन, कनिमोझी, रजनी पाटिल, छाया वर्मा को प्रदान किए गए थे.

 

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