सर्वे : कोरोना और लॉकडाउन में बढ़ी परोपकार की भावना, युवा बढ़चढ़ कर आए आगे

सर्वे : कोरोना और लॉकडाउन में बढ़ी परोपकार की भावना, युवा बढ़चढ़ कर आए आगे

Tejinder Singh
Update: 2021-07-11 14:22 GMT
सर्वे : कोरोना और लॉकडाउन में बढ़ी परोपकार की भावना, युवा बढ़चढ़ कर आए आगे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संक्रमण के चलते उपजे हालात और लॉकडाउन का अलग-अलग आयुवर्ग के लोगों पर अलग-अलग प्रभाव हुआ है। इस दौरान जहां नई और प्रौैढ़ पीढ़ी का झुकाव परोपकारिता के प्रति बढ़ा है साथ ही वे स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सजग हुए हैं वहीं इस दौरान 25 से 34 आयुवर्ग के लोग पर्यावरण को लेकर ज्यादा संजीदा हुए हैं। गोदरेज समूह द्वारा लिटिल थिंग्स वी डू अभियान के तहत कराए गए सर्वे में यह खुलासा हुआ है। सर्वे के दौरान पाया गया कि 45 या उससे अधिक आयु के 59 फीसदी लोगों और 18 से 24 आयु वर्ग के 53 फीसदी लोगों में  परोपकार की भावना बढ़ी है और उन्होंने जरूरतमदों को खाने पीने का सामान, पुराने कपड़े, कंबल, चिकित्सा उपकरण, सैनिटाइजर आदि दिए हैं। इसी अध्ययन में पाया गया कि 25 से 34 आयु वर्ग के 54 फीसदी लोग पर्यावरण के प्रति सजग हुए हैं और लॉकडाउन के दौरान उन्होंने पौधे उगाने, ऊर्जा की खपत कम करने जैसे कामों को ज्यादा अहमियत दी। साथ ही इस आयुवर्ग के लोग खरीदे जाने वाले उत्पादों के पर्यावरण पर प्रभाव को लेकर भी ज्यादा सचेत रहे। सर्वे में शामिल हुए लोगों में से 59 फीसदी लोगों ने बताया कि वे अपने स्वास्थ्य और खुशी को लेकर ज्यादा सचेत हुए हैं। योग, जुम्बा, सैर, मेडिटेशन आदि उनकी जिंदगी का हिस्सा बने हैं। इस दौरान करीब 36 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने धूम्रपान, फिजूलखर्ची, सेहत के लिए नुकसानदेह खाना छोड़ दिया है। गोदरेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड के उपाध्यक्ष सुजीत पाटील ने कहा कि मौजूदा महामारी ने भारतीयों की जीनवशैली और आकांक्षाओं पर भारी असर डाला है। इसलिए अलग-अलग आयु के लोगों ने अपने अनुभव के मुताबिक अपनी जिंदगी में छोटे-छोटे बदलाव शुरू कर दिए हैं। जिसका मकसद मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर करना है।

सेहतमंद खाने पर जोर

कोरोना संक्रमण के बाद अब 75 फीसदी लोगों ने घर में बने सेहतमंद खाने को प्राथमिकता देनी शुरू कर दी है। 45 साल या उससे ज्यादा आयुवर्ग के 77 फीसदी लोगों ने  बताया कि अब वे घर का बना सेहतमंद खाना ही खाते हैं। 74 फीसदी युवा और 75 फीसदी प्रौढ़ों ने भी सेहतमंद खाने को अपनी जिंदगी की हिस्सा बना लिया है।

ऐसे बीत रहा समय

सर्वे में शामिल हुए 27 फीसदी लोगों ने बताया कि उन्होंने परिवार के साथ समय बिताया वहीं 45 साल से ज्यादा आयु के 33 फीसदी लोगों ने परिवार के साथ समय बिताना ज्यादा बेहतर समझा। करीब 27 फीसदी लोगों ने ही समय बिताने के लिए टीवी और मोबाइल पर कंटेट देखे। करीब 23 फीसदी लोगों ने गाने सुनकर या किताबें पढ़कर समय बिताया। करीब 20 फीसदी लोगों ने खाना बनाना शुरू करने की बात स्वीकार की।


 

Tags:    

Similar News