पवार को बड़ा झटका : तारिक अनवर जल्द थाम सकते हैं कांग्रेस का दामन
पवार को बड़ा झटका : तारिक अनवर जल्द थाम सकते हैं कांग्रेस का दामन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एनसीपी सांसद तारिक अनवर ने लोकसभा की सदस्यता और पार्टी से इस्तीफा देकर पार्टी को तगड़ा झटका दिया है। अनवर ने अपने इस्तीफे का कारण राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के उस बयान को बताया है जिसमें उन्होने रफाल मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बचाव किया है। अनवर का इस्तीफा राकांपा के लिए इसलिए बड़ा झटका है, क्योंकि वह पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।
वर्ष 1999 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर उन्होने शरद पवार और पी ए संगमा के साथ मिलकर कांग्रेस से बगावत कर दी थी। सियासत के चतुर खिलाड़ी शरद पवार को यह उम्मीद नहीं रही होगी कि रफाल पर मोदी का बचाव करना अपनी पार्टी में ही भूचाल ला देगा। तारिक अनवर के इस्तीफे से न केवल राकांपा के एक और संस्थापक सदस्य की पार्टी से विदाई हो गई है, बल्कि बिहार जैसे एक अहम प्रदेश से राकांपा की मौजूदगी भी खत्म हो गई है।
ऐसे वक्त जब राकंापा को राष्ट्रीय पार्टी बने रहने के लिए ज्यादा से ज्यादा राज्यों में फैलने की जरूरत है तब एक राज्य से पूरी तरह खत्म होना मुश्किल बढ़ाने वाला है। राकांपा सुप्रीमों के इस बयान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अक्सर गठबंधन की बारीकियां समझाने वाले पवार की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो ए हैं।
राहुल और तारिक के बीच अच्छा है तालमेल
सूत्र बताते हैं कि तारिक अनवर एक बार फिर कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। हालांकि उन्होने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं और कहा है कि अपने समर्थकों से बात करके अंतिम निर्णय लिया जाएगा। परंतु माना जा रहा है कि वे फिर से कांग्रेस में ही अपना भविष्य देख रहे हैं। बताते हैं कि राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बन जाने के बाद से कांग्रेस के प्रति उनका नजरिया पहले से बदला है। यही वजह रही कि बिहार कांग्रेस के नेताअों ने तारिक के पार्टी छोड़ने के फैसले का तत्काल स्वागत किया है। हालांकि राजद भी अनवर को अपने साथ लाने की कोशिश में जुट गई है।
तारिक अनवर के नजदीकी सूत्र बताते हैं कि सोनिया गांधी के पार्श्व में चले जाने के बाद अब विदेशी मूल का मुद्दा नहीं रहा। दूसरे राहुल गांधी का व्यवहार भी उन्हें कांग्रेस की ओर लुभा रहा है। अनवर को यह भी लगता है कि कांग्रेस के साथ जाकर बिहार में महागठबंधन का हिस्सा होना सियासी तौर पर ज्यादा फायदेमंद है। इसी के साथ घर वापसी के बाद उन्हें बिहार में कांग्रेस का चेहरा बनने का भी मौका दिख रहा है क्योंकि प्रदेा में अभी कोई बड़ा चेहरा नहीं है।