फ्लोटिंग साइकिल हो गई कबाड़, मनपा अनजान, धरी की धरी रह गई तालाब सफाई की योजना

फ्लोटिंग साइकिल हो गई कबाड़, मनपा अनजान, धरी की धरी रह गई तालाब सफाई की योजना

Anita Peddulwar
Update: 2018-08-06 09:05 GMT
फ्लोटिंग साइकिल हो गई कबाड़, मनपा अनजान, धरी की धरी रह गई तालाब सफाई की योजना

डिजिटल डेस्क, नागपुर। फ्लोटिंग साइकिल के माध्यम से तालाबों को साफ रखने की योजना लगता है धरी की धरी रह जाएगी, क्योंकि फुटाला तालाब में अपना हुनर दिखा चुकी वह साइकिल फिलहाल कबाड़ में रखी हुई है। 

अति महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 
इस विशेष फ्लोटिंग साइकिल को सीएसआईआर-नीरी डायमंड जुबली जयंती फाउंडेशन दिवस के अवसर पर मनपा के सहयोग से सीएसआईआर-नीरी के निदेशक डॉ. राकेश कुमार ने फुटाला तालाब में बड़े जोरों-शोरों के साथ उतारा था। श्रीनगर और उदयपुर की तर्ज पर फुटाला तालाब में जमा कचरा साफ करने के लिए इस फ्लोटिंग साइकिल को लगाया गया था। शहर के लिए इसे अति महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट माना जा रहा था।

विशेषताओं के कायल
फ्लोटिंग साइिकल झीलों को साफ करने के लिए बनाया गया था। इसमें वाॅटर राइड और व्यायाम भी कर सकते थे। सीएसआईआर-राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान का ये प्रथम प्रोटोटाइप फ्लोटिंग साइकिल का निर्माण था। यह पानी की सतह पर से मलबे को साफ करेगा। यह प्रोपेलर से लैस है और पानी के ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाता है। इसमें पीवीसी पाइप संलग्न थे। कहा गया था कि ये पर्यावरण के अनुकूल है और इसमें ईंधन की भी आवश्यकता नहीं है। इसका निर्माण डॉ. अत्या कपले, डॉ. रीता एस धोपदकर और सौरव चक्रवर्ती, स्वच्छ एसोसिएशन की अनसुया काले छाबरानी के सहयोग से हुआ था।  

एनएमसी को सौंप दिया 
हमने फ्लोटिंग साइिकल मनपा को सौंप दिया था, उसके बाद एक-दो बार सफाई के लिए गए भी। बारिश के बाद हम उस ओर गए ही नहीं।
(अनुसूया काले छाबरानी, स्वच्छ एसोसिएशन एनजीओ)

बारिश की वजह से यूज नहीं

फ्लोटिंग साइिकल हमें नीरी संस्थान द्वारा दिया गया था। अभी उसे अलग करके रख दिया गया है। बारिश होने की वजह से ऐसा किया गया है। 
(डॉ. प्रदीप दासरवार, हेल्थ अफसर, महानगरपालिका, नागपुर)

इसे नए सिरे से डिजाइन करेंगे  

श्रीनगर और उदयपुर की तर्ज हमने कोशिश की थी, परंतु उसमें कुछ खामियां रह गईं। अब हम इसे नए सिरे से डिजाइन करेंगे। अभी इसको चलाने वालों को ज्यादा एनर्जी की आवश्यकता होती है, ज्यादा एफर्ट की जरूरत होती थी। वहीं पहले इस एक व्यक्ति चला सकता था, अब लेकिन हम इसे ऐसा बना रहे हैं कि दो लोग इसे चला सकें।
(डॉ. अत्या कपले)

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