फांसी की सजा पाए कैदी अपने रिश्तेदार के निधन पर कर सकेंगे घर फोन

फांसी की सजा पाए कैदी अपने रिश्तेदार के निधन पर कर सकेंगे घर फोन

Anita Peddulwar
Update: 2019-03-02 12:33 GMT
फांसी की सजा पाए कैदी अपने रिश्तेदार के निधन पर कर सकेंगे घर फोन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। करीबी रिश्तेदार के निधन पर अब फांसी की सजा पाए कैदी भी अपने रिश्तेदारों से दस मिनट तक फोन पर बात कर सकेंगे। पहले इन कैदियों को यह सहूलियत नहीं थी। बांबे हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद राज्य सरकार ने इस संबंध में एक परिपत्र जारी किया है। दरअसल पिता के निधन के बाद मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाके के मामले में फांसी की सजा पाए फैसल शेख ने येरवडा जेल के अधिकारियों से परोल पर छोड़ने या फोन पर अपनी मां से बात कराने की गुजारिश की थी। ताकि वह अपने पिता को श्रध्दांजलि अर्पित कर सकें, लेकिन जेल अधिकारियों ने शेख के परोल के आवेदन को खारिज कर दिया और फोन पर बात करने की इजाजत भी नहीं दी। लिहाजा शेख ने अधिवक्ता फरहाना शाह के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। अपनी याचिका में शेख ने मांग की थी कि अदालत जेल अधिकारियों को निर्देश दे कि वे उसे अपनी मां से फोन पर बात करने की अनुमति दें।   

जस्टिस अभय ओक व जस्टिस अजय गडकरी की बेंच ने शेख की याचिका पर गौर करने के बाद जेल अधिकारियों के रवैए पर हैरानी जाहिर की और जेल अधीक्षक को शेख के अपनी मां से फोन पर बात करने के आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया। जब यह मामला दोबारा सुनवाई के लिए आया तो सरकारी वकील अरफान सेठ ने बेंच के सामने कहा कि हमने शेख की उसकी मां से बात करा दी है। इसके साथ ही अब से फांसी की सजा पाए सभी भारतीय कैदियों को परिवार के किसी सदस्य के निधन पर उसके करीबी रिश्तेदार से फोन पर बात करने की इजाजत दी जाएगी। इसके लिए सरकार के संबंधित शासनादेश में संशोधन कर दिया गया है। जल्द ही इसकी सूचना जेल अधिकारियों को दी जाएगी।

नियमानुसार फांसी की सजा पानेवाला कैदी परोल का हकदार नहीं होता है। वहीं ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में शेख की वकील शाह ने कहा कि हाईकोर्ट के कड़े रुख के चलते फांसी की सजा पानेवाले कैदियों को फोन पर बात करने की छूट मिली है और अदालत की सख्ती के चलते अब सरकार ने इस संबंध में परिपत्र जारी किया है। उन्होंने कहा कि फांसी की सजा पाए कैदी को करीबी रिश्तेदार की निधन पर उसे अपने नजदीकी रिश्तेदार से बात करने की इजाजत मिलनी ही चाहिए।

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