सुभाषचंद्र बोस मौत को तत्कालीन सरकार ने बनाया रहस्यमयी - चंद्रकुमार बोस

सुभाषचंद्र बोस मौत को तत्कालीन सरकार ने बनाया रहस्यमयी - चंद्रकुमार बोस

Anita Peddulwar
Update: 2019-01-25 09:45 GMT
सुभाषचंद्र बोस मौत को तत्कालीन सरकार ने बनाया रहस्यमयी - चंद्रकुमार बोस

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। वर्ष 1999  में जस्टिस मुखर्जी कमीशन का गठन हुआ था। उसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा सका। तायवान सरकार ने खुलासा किया था कि 18  अगस्त 1945  को वहां कोई विमान हादसा घटित नहीं हुआ था। उल्लेखित किया गया वह विमान कभी टेक ऑफ ही हुआ नहीं था इसलिए सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु की अधिकृत जानकारी नहीं दी जा सकी। नेताजी की मृत्यु को अंत तक रहस्य बनाया गया। वर्ष 1972 में कांग्रेस सरकार ने सुभाषचंद्र बोस से जुड़ी सभी फाइलें गोपनीय ढंग से नष्ट कर दी।

नोट्स एवं शैडो फाइल नष्ट कर दी गई
यह आरोप नेताजी के पोते चंद्रकुमार बोस ने लगाया है। विश्रामगृह में आयोजित पत्र परिषद में वे बोल रहे थे। चंद्रकुमार बोस ने बताया कि नेताजी ने आजादी एवं अखंड भारत का सपना देखा था। उसे साकार करने उन्होंने आजाद हिंद सेना का गठन किया। उस दौर में हर तरह के आंदोलन जारी थे। सभी आंदोलनों का उद्देश्य केवल अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना था। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष करते हुए आजाद हिंद सेना के करीब 26  हजार सैनिकों को अपना बलिदान देना पड़ा। देश की आजादी के लिए अनेक हिंसक आंदोलन हो रहे थे, वहीं अहिंसा के मार्ग से किए जा रहे आंदोलन से करोड़ों लोग जुड़े। शहीद भगत सिंह से लेकर हर क्रांतिकारी ने प्राणों की आहुति दी, लेकिन मौजूदा दौर में सभी क्रांतिकारियों का उचित सम्मान नहीं किया जा रहा है। दुख की बात है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस जो आजाद भारत के लिए लड़े, उनके जीवन संघर्ष, अंतिम दिनों की गतिविधियां एवं मौत से जुड़ी जांच की फाइल को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने नष्ट कर दिया। संबंधित नोट्स एवं शैडो फाइल को भी नष्ट कर दिया गया 

मोदीजी ने उठाए सकारात्मक कदम
चंद्रकुमार बोस का कहना है कि भाजपा सरकार ने नेताजी का उचित सम्मान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सकारात्मक कदम उठाते हुए नेताजी को योग्य सम्मान दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। पत्र परिषद में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहिर, विधायक नाना शामकुले, विधायक एड. संजय धोटे, महापोर अंजलि घोटेकर, जिप सभापति ब्रिजभूषण पाझारे आदि उपस्थित थे।

 

 

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