पेरिस की सुजाता का ‘घोड़ा’ कैंसर पीड़ितों की मदद के लिए बना उम्मीद,  30 कलाकारों ने दान दी कलाकृतियां

 पेरिस की सुजाता का ‘घोड़ा’ कैंसर पीड़ितों की मदद के लिए बना उम्मीद,  30 कलाकारों ने दान दी कलाकृतियां

Tejinder Singh
Update: 2018-11-29 14:20 GMT
 पेरिस की सुजाता का ‘घोड़ा’ कैंसर पीड़ितों की मदद के लिए बना उम्मीद,  30 कलाकारों ने दान दी कलाकृतियां

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भारतीय समाज के सामने एक अनोखी पहल करते हुए देश के 30 नामचीन कलाकारों ने अपनी बनाई कलाकृतियों को दान किया है, जिससे उसकी नीलामी कर जरूरतमंदों के लिए धन जुटाया जा सके। इस धनराशि का इस्तेमाल दो एनजीओ के माध्यम से खानाबदोश घूमने वाले बेसहारा बच्चों के पुनर्वास और स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए किया जाएगा। बेसहारा बच्चों और कैंसर पीड़ितों की मदद करने की इस मुहिम की अगुआई पेरिस में रहने वाली भारतीय मूल की अतंरराष्ट्रीय मूर्तिकार-चित्रकार और प्रख्यात गांधीवादी राधाकृष्ण बजाज की प्रपौत्री सुजाता बजाज कर रही हैं। जिनकी कलाकृति घोड़ा मुंबई के जहागीर आर्ट गैलरी में चल रही ब्रेकिंग बैरियर्स प्रदर्शनी में सबसे अधिक कलाप्रेमियों को आकर्षित किया है। इस कलाकृति को सुजाता ने अपनी बेटी के साथ मिलकर तैयार किया है।

भारतीय कला जगत में समाजसेवा की इस तरह की यह पहली मिसाल है। अलग-अलग जज्बातों का चित्रण करने वाली और खुद को कलरिस्ट कहने वाली सुजाता बजाज कहती हैं, "मैं हमेशा इस तरह के सामाजिक कार्यों का हिस्सा बनने से खुशी महसूस करती रही हूं। खासकर जहां लोग ईमानदार हैं और धन का सही तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। मैंने हमेशा ‘ताराना" के ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है और अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की है। मैं अलग-अलग चैरिटीज का भी हिस्सा रही हूं, विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा से संबंधित चैरिटी का। ‘नन्ही कली" नाम के एक एनजीओ का कामकाज मुझे बहुत पसंद है, जो वंचित तबके की कन्याओं को प्राइमरी शिक्षा देने का काम कर रहा है। मैं इस तरह के सहयोग का हिस्सा बनने के लिए हमेशा तत्पर रहती हूं।"  

अभी हाल ही में 50 से ज्यादा गणपति को अपनी चित्रकला और अमूर्त कला (एब्सट्रैक्ट आर्ट) के रूप में पेश करने वाली सुजाता बजाज अंतरराष्ट्रीय कला क्षेत्र में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उन्होंने कैनवास पर अनगिनत चित्रों को उकेरा है। सुजाता ने रंगों और ब्रश के सहारे एक ऐसी दुनिया का सृजन किया है, जिसमें सादगी है, तो रंगीनी भी है। यह दुनिया आसान है, तो थोड़ी दुष्कर भी है। इसमें खुशी है तो गम भी है। सबसे बड़ी बात उनकी कला में दुनिया में खोने का एहसास है तो खुद को पाने का बोध भी झलकता है। कलाकृतियों की नीलामी से एकत्रित धनराशि सड़क और दूसरी जगहों से लाए गए 80 बच्चों को खेल, योगा, न्यूट्रिशन का समग्र तरीके से प्रशिक्षण देने वाले एनजीओ ‘खेलशाला" और ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही महिलाओं की वित्तीय सहायता करने वाले एनजीओ ‘पैसेज" को मिलेगा। ब्रेकिंग बैरियर्स का अवलोकन करने पर साफ लगता है कलाकारों ने अपनी चित्रकला और मूर्तिकला में अमूर्त कला (एब्सट्रैक्ट आर्ट) का इस्तेमाल किया है, लेकिन तमाम कलाकृतियां पूरी तरह से भारतीयता के रंग में डूबी हुई हैं। यह प्रदर्शनी जहागीर आर्ट गैलरी में आगामी 2 दिसंबर तक चलेगी। 

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