दो दिन बाद विखे पाटील तोड़ेगे मौन, कर सकते हैं अपने सियासी भविष्य का एलान 

दो दिन बाद विखे पाटील तोड़ेगे मौन, कर सकते हैं अपने सियासी भविष्य का एलान 

Tejinder Singh
Update: 2019-04-18 15:34 GMT
दो दिन बाद विखे पाटील तोड़ेगे मौन, कर सकते हैं अपने सियासी भविष्य का एलान 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधानसभा में विपक्ष के नेता व वरिष्ठ कांग्रेसी राधाकृष्ण विखेपाटील रविवार को अपना मौन तोड़ेंगे। उनके बेटे डा सुजय विखे पाटील के भाजपा उम्मीदवार बनने के बाद से विखे पाटील सहयोगी दल राकांपा के साथ-साथ अपने पार्टी नेताओं के निशाने पर हैं और उनके भाजपा में शामिल होने को लेकर अटकले लगाई जा रही हैं। अहमदनगर सीट पर राकांपा द्वारा दावा न छोडे जाने के बाद विखे पाटील के बेटे सुजय के भाजपा में शामिल होने और अहमदनगर सीट से उम्मीदवार बनने के बाद से ही विखे पाटील के भी भाजपा में शामिल होने को लेकर अटकले लगाई जा रही है। समझा जा रहा था कि बीते 12 अप्रैल को अहमदनगर में हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा में विखे पाटील भाजपा में शामिल हो जाएंगे लेकिन वे पीएम की सभा से दूर ही रहे। लोकसभा चुनाव बीतने के बाद इसी साल सितंबर-अक्टूबर में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। फिलहाल अहमदनगर सीट पर विखे पाटील और पवार (शरद पवार) परिवार की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। दोनों परिवारों के बीच पुरानी राजनीतिक दुश्मनी है। राकांपा ने सुजय विखे पाटील के खिलाफ विधायक सग्राम जगताप को मैदान में उतारा है। 

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में आगामी 23 अप्रैल को अहमदनगर में मतदान है। सूत्रों के अनुसार चुनाव प्रचार के अंतिम दिन विखे पाटील अपना मौन तोड़ेंगे। सूत्रों के अनुसार अहमदनगर सीट को लेकर विखे पाटील ने पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिख कर प्रदेश कांग्रेस नेताओं क भूमिका की बावत नाराजगी जताई है। इसके बाद पार्टी प्रभारी मल्लिकार्जुन खडगे ने भी विखे पाटील से बातचीत की तो विखे पाटील ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वे कांग्रेस में ही रहेंगे। विखे पाटील द्वारा अपने भाजपाई बेटे सुजय के चुनाव प्रचार के सवाल पर उनके नचदीकी लोगों का कहना है कि वे बतौर कांग्रेस नेता नहीं बल्कि एक पिता के रुप में बेटे की मदद कर रहे हैं। विखे पाटील ने पहले ही साफ कर दिया था कि वे अहमदनगर में राकांपा उंम्मीदवार का प्रचार नहीं करेंगे। दूसरी तरफ पार्टी इस लिए भी विखे पाटील के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है कि क्योंकि इससे विधानसभा में विपक्ष नेता पद राकांपा के पास चला जाएगा। दोनों दलों के विधायकों की संख्या में सिर्फ एक का ही अंतर है। विस में कांग्रेस के 42 और राकांपा के 41 विधायक हैं।        

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