पीडि़तों ने कहा कि गुमराह कर रही इंश्योरेंस कंपनी - बारह साल से स्टार हेल्थ की पॉलिसी ले रहे पर नहीं हुआ कैशलेस इलाज

पीडि़तों ने कहा कि गुमराह कर रही इंश्योरेंस कंपनी - बारह साल से स्टार हेल्थ की पॉलिसी ले रहे पर नहीं हुआ कैशलेस इलाज

Bhaskar Hindi
Update: 2021-05-20 11:05 GMT
पीडि़तों ने कहा कि गुमराह कर रही इंश्योरेंस कंपनी - बारह साल से स्टार हेल्थ की पॉलिसी ले रहे पर नहीं हुआ कैशलेस इलाज

डिजिटल डेस्क जबलपुर । सालों से एक ही कंपनी के ग्राहक हैं और किसी भी तरह का क्लेम भी पॉलिसी धारक ने नहीं लिया। अचानक बीमित को पॉलिसी का सहारा लेना पड़ा तो उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है। अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए पॉलिसी धारक कई तरह के आरोप बीमा कंपनियों पर लगाते हुए बता रहे हैं कि क्लेम नहीं लेने पर बीमा कंपनियाँ दोगुना इंश्योरेंस होने का दावा करती हैं और जब उन्हें कैशलेस की आवश्यकता पड़ी तो बीमा कंपनियों ने कैशलेस से मना कर दिया और बिलों का भुगतान करने से भी वे इनकार कर रही हैं। पीडि़तों ने कई जगह बीमा कंपनियों की शिकायतें कीं, पर आज तक किसी तरह की सुनवाई नहीं हुई। एक पॉलिसी धारक तो ऐसे हैं कि 12 साल में कभी पॉलिसी का उपयोग नहीं किया और जब उपयोग करने की बारी आई तो बीमा कंपनी ने अपने हाथ खड़े कर लिए।
लाखों की पॉलिसी पर 16 हजार का क्लेम नहीं दे रही बीमा कंपनी
रसल चौक निवासी नानकराम बसानी ने बताया कि उन्होंने परिजनों के नाम पर स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से पॉलिसी ले रखी है। वर्ष 2009 से लगातार पॉलिसी का संचालन करते आ रहे हैं। हमारे द्वारा एक बार भी क्लेम नहीं लिया गया। 12 साल बाद अचानक स्टार हेल्थ की पॉलिसी की आवश्यकता फरवरी 2021 में पड़ी। उन्होंने आशीष हॉस्पिटल में कैशलेस के लिए कार्ड दिया। कार्ड देने पर वहाँ के प्रबंधन ने कैशलेस के लिए इनकार कर दिया। उन्होंने अपने बेटे रीतेश बसानी का इलाज कराने के लिए पूरा कैश भुगतान किया। अस्पताल से छूट्टी होने के बाद उनके द्वारा सारे बिल बीमा कंपनी में ऑनलाइन जमा कराए गए।उन्होंने ऑनलाइन भी संपर्क किया पर 16 हजार 490 रुपए का बिल भुगतान आज तक नहीं हुआ। 
हम नहीं हैं अधिकृत
 बिल जमा करने के बाद टोल-फ्री नंबर पर संपर्क किया गया और उसके बाद स्टार हेल्थ के ऑफिस गए। वहाँ जवाब मिला कि ऑफलाइन पॉलिसी में हमारा हस्तक्षेप नहीं होता है। आपको ऑनलाइन ही संपर्क करना पड़ेगा। 
कोमा में पड़े मरीज का इलाज कराने से एचडीएफसी ने किए हाथ खड़े
एचडीएफसी ईआरजीओ के लोकल अधिकारियों से पॉलिसी धारक के संबंध में बात की गई तो उनके द्वारा पॉलिसी क्लेम से संबंधित जानकारी देने के लिए अधिकृत नहीं होने की बात करते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया। गढ़ा बाजारा इंदिरा गांधी वार्ड निवासी राजेश पटैल ने बताया कि उनके भाई राकेश पटैल ने एचडीएफसी इंश्योरेंस (एचडीएफसी ईआरजीओ) कंपनी से हेल्थ इंश्योरेंस लिया हुआ है। लंबे समय से लीवर की बीमारी से वे ग्रसित हैं। लंबे समय तक निजी अस्पताल में इलाज चला पर ठीक नहीं हो सके। बीमा कंपनी से कैशलेस कराने के लिए टोल-फ्री नंबर पर संपर्क किया पर बीमा कंपनी ने कैशलेस नहीं किया। अस्पताल में लगातार रुपए लगने के कारण उन्हें घर ले आए थे और उसके बाद अस्पताल व दवाइयों के बिलों को ऑनलाइन बीमा कंपनी में सबमिट किया पर आज तक क्लेम नहीं मिला। रुपयों की कमी के कारण वे अपने भाई का इलाज भी नहीं करा पा रहे हैं और बीमा कंपनी से किसी तरह की मदद नहीं मिल रही है। वहीं रुपए नहीं होने के कारण चिकित्सकों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। पीडि़त का कहना है कि वे अपने भाई राकेश को घर लेकर आ गए हैं। पीडि़त का आरोप है कि लाखों रुपए की पॉलिसी लेने के बाद भी एचडीएफसी इंश्योरेंस कंपनी द्वारा किसी तरह का सहयोग नहीं दिया गया। 
यह पॉलिसी ऑनलाइन ली
* यह पॉलिसी ऑन लाइन ली गई है। पॉलिसी धारक को क्या समस्या है इस बारे में उनसे बात कर जल्द ही क्लेम सेटल कराने की प्रक्रिया कराई जाएगी।
-धीरज कुमार, स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी 
 

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