उपभोक्ता अदालतों में क्यों नहीं हो रही सदस्यों की नियुक्ति
उपभोक्ता अदालतों में क्यों नहीं हो रही सदस्यों की नियुक्ति
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट ने विधि विभाग के प्रमुख सचिव सत्येन्द्र सिंह और उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वरनवाल को अवमानना नोटिस जारी कर पूछा है कि प्रदेश की उपभोक्ता अदालतों में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति क्यों नहीं की जा रही है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की डिवीजन बैंच ने अनावेदकों से तीन सप्ताह में जवाब-तलब किया है। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे और डॉ. एमए खान की ओर से दायर अवमानना याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने 2 जुलाई 2018 को हाईकोर्ट में अभिवचन दिया था कि प्रदेश की सभी उपभोक्ता अदालतों में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। याचिका में कहा गया कि मध्य प्रदेश के 51 जिला उपभोक्ता आयोग में से 32 में अध्यक्ष का पद रिक्त है। 19 जगहों पर सदस्य क्रमांक-एक और दो नहीं है। इसके साथ ही 12 जिला उपभोक्ता आयोग ऐसे हैं, जहाँ पर न तो अध्यक्ष है, न ही सदस्य है। इसकी वजह से उपभोक्ता अदालतों में उपभोक्ताओं की सुनवाई नहीं हो पा रही है। अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने तर्क दिया कि महाधिवक्ता के अभिवचन के बाद भी सरकार उपभोक्ता अदालतों में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्त नहीं कर रही है। प्रारंभिक सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब माँगा है।