संयंत्र सहायक को निर्धारित तिथि से क्यों नहीं दिया उच्च वेतनमान का लाभ 

संयंत्र सहायक को निर्धारित तिथि से क्यों नहीं दिया उच्च वेतनमान का लाभ 

Bhaskar Hindi
Update: 2019-04-18 08:07 GMT
संयंत्र सहायक को निर्धारित तिथि से क्यों नहीं दिया उच्च वेतनमान का लाभ 

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के कार्यपालक निदेशक और अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है कि संयंत्र सहायक को निर्धारित तिथि से उच्च वेतनमान का लाभ क्यों नहीं दिया गया। जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकल पीठ ने अनावेदकों को तीन सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। बरगी नगर निवासी परसराम विश्वकर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी में उसकी नियुक्ति संयंत्र सहायक के पद पर वर्ष 1988 में हुई थी। उसे 18 वर्षीय उच्च वेतनमान का लाभ वर्ष 2006 से दिया जाना था, लेकिन उसे वर्ष 2011 से उच्च वेतनमान का लाभ दिया था। इस संबंध में याचिकाकर्ता ने पूर्व में याचिका दायर की थी।

30 अक्टूबर 2017 को हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर तीन माह के भीतर कारण सहित निर्णय पारित करने का आदेश दिया था। 16 जनवरी 2018 को पावर जनरेटिंग कंपनी ने याचिकाकर्ता का अभ्यावेदन बिना कारण बताए खारिज कर दिया। अभ्यावेदन खारिज किए जाने के बाद दोबारा याचिका दायर की गई। प्रांरभिक सुनवाई के बाद एकल पीठ ने नोटिस जारी कर अनावेदको से जवाब-तलब किया है।

स्थाई दैनिक वेतन भोगी को 60 वर्ष 2 माह की आयु में कैसे किया सेवानिवृत्त
हाईकोर्ट ने जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव, मुख्य अभियंता, और अधीक्षण अभियंता को नोटिस जारी कर पूछा है कि जल संसाधन विभाग के स्थाई दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को 60 वर्ष 2 माह की आयु कैसे सेवानिवृत्त कर दिया। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने अनावेदको को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। 

सेवानिवृत्त आयु 62 वर्ष
गुना निवासी शशि कुमार शर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि वह जल संसाधन विभाग गुना में स्थाई दैनिक वेतन भोगी के पद पर कार्यरत था। राज्य सरकार के कर्मियों की सेवानिवृत्त आयु 62 वर्ष होने के बाद भी उसे अवैधानिक तरीके से 60 वर्ष 2 माह में सेवानिवृत्त कर दिया गया। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने 31 मार्च 2018 को राज्य सरकार के कर्मियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी है। अधिवक्ता डॉ. एकनाथ ज्योतिषी और अधिवक्ता कल्पना ज्योतिषी ने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने 7 अक्टूबर 2016 को पत्र जारी कर दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को स्थाई घोषित कर दिया है। इसके बाद भी याचिकाकर्ता को 60 वर्ष 2 माह में सेवानिवृत्त कर दिया। प्रांरभिक सुनवाई के बाद एकल पीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है।
 

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