पबजी खेलने पेरेंट्स बच्चों को क्यों देते है स्मार्ट फोन - हाईकोर्ट का कड़ा रुख

पबजी खेलने पेरेंट्स बच्चों को क्यों देते है स्मार्ट फोन - हाईकोर्ट का कड़ा रुख

Tejinder Singh
Update: 2019-04-12 17:03 GMT
पबजी खेलने पेरेंट्स बच्चों को क्यों देते है स्मार्ट फोन - हाईकोर्ट का कड़ा रुख

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के संबिधित विभाग के सचिव को आनलाइन खेल ‘पबजी’ को देखने व और उसमें आपत्तिजनक सामाग्री पाए जाने पर इसे उपलब्ध करानेवालों के खिलाफ कार्रवाई करे और पबजी के नियमन के लिए जरुरी निर्देश भी जारी करे। इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा कि आखिर अभिभावक बच्चों को फोन क्यों देते है? जिससे वे पबजी जैसा खेल खेलते हैं। हाईकोर्ट में पबजी खेल पर रोक लगाने की मांग को लेकर एक 11 वर्षीय बच्चे ने अधिवक्ता तनवीर निजाम के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि स्कूलों में पबजी के खेल में प्रतिबंध लगाया जाए। इस मांग पर गौर करने के बाद मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ ने कहा कि किसी स्कूल के कंप्युटर में पबजी खेल उपलब्ध नहीं रहता है। ऐसे में स्कूल में इस खेल के प्रतिबंध  लगाने की मांग कैसे की जा सकती है। यदि  अभिभावक बच्चों को घर में खेल के लिए मोबाइल उपलब्ध कराते है तो इसमें स्कूल क्या करे?  जरुरी है अभिभावक बच्चों पर ध्यान दे। याचिकाकर्ता के वकील तनवीर निजाम ने कहा कि पबजी खेल हिंसा  व आक्रोश जैसी प्रवृत्ति को बढावा देता है।  यह अनैतिन मूल्यों को प्रोत्साहित करता है। इस खेल की लत में फंसने के चलते बच्चे पढाई से दूर हो रहे है। इसलिए इस  खेल पर खास तौर से स्कूलों में प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया जाए। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने उपरोक्त बाते कही और कहा कि केंद्र सरकार के अधिकारी पहले पबजी खेल को देखे यदि इस खेल में कुछ आपत्तिजनक सामाग्री मिलती है तो इस खेल को उपलब्ध करानेवालों के खिलाफ कार्रवाई करे। 

‘पबजी’ के समर्थन में नागपुर के दो छात्र पहुंचे हाईकोर्ट

इस बीच एलएलबी कर रहे नागपुर के दो विद्यार्थियों ने ‘पबजी’ के समर्थन में हाईकोर्ट में एक आवेदन दायर किया है। नागपुर के इंद्रप्रस्थ इलाके में रहनेवाले प्रद्युम्न व संदीप शर्मा ने अधिवक्ता अखिल गुरवाडा के माध्यम से यह आवेदन दायर किया है। जिसका शुक्रवार को खंडपीठ के सामने उल्लेख किया गया। आवेदन में याचिका को आधारहीन बताया गया है। आवेदन में कहा गया है कि 11 साल की उम्र से कम के बच्चे इस खेल को नहीं खेल सकते है। जहां तक बात 13 से 18 साल के उम्र के बच्चों के पबजी खेल खेलने की है तो जब इस खेल को डाउनलोड किया जाता है तो इसके लिए अभिभावकों की सहमति लगती है। इसलिए बच्चे इस खेल को नहीं खेल सकते है। इस खेल पर रोक लगाने से उन लोगों की निजी स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार का हनन होता है जो इस खेल खेलते है। आवेदन में कहा गया पबजी ने यहां के खिलाडियों को अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर का मंच प्रदान किया है। जिससे वे ई गेमिंग की दुनिया में शिरकत कर सकते है। इस खेल से लोगों को यू ट्यूब के माध्यम से रोजगार भी मिल रहा है। इस खेल के चलते कई हस्तियों को विश्व स्तर पर लोकप्रियता मिली है। पिछले दिनों पबजी को लेकर एक राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी। जिसकी ईनामी राशि एक करोड रुपए थी। कई भारतीय खिलाडियों ने थाइलैंड में आयोजित पबजी प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। इसलिए पबजी पर प्रतिबंध लगाने की मांग करनेवाली याचिका को खारिज कर दिया जाए। 

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