महिलाओं ने किया शिक्षिका का अपहरण,10 दिन बाद लौटकर किया ये बड़ा खुलासा

महिलाओं ने किया शिक्षिका का अपहरण,10 दिन बाद लौटकर किया ये बड़ा खुलासा

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-16 06:03 GMT
महिलाओं ने किया शिक्षिका का अपहरण,10 दिन बाद लौटकर किया ये बड़ा खुलासा

डिजिटल डेस्क, सतना। बीते 10 दिन से लापता शिक्षिका शुक्रवार सुबह अचानक प्रगट हो गई जिसने सतना में अज्ञात ऑटो चालक व 3 महिलाओं के द्वारा अगवा कर अज्ञात जगह पर बंधक बनाने का खुलासा किया जहां उसे रखा गया वहां पहले से ही दो महिलाएं बंद थीं। जिन्होंने कमरे की खिड़की तोड़कर अपनी आजादी का रास्ता बनाया और बाहर निकलकर अपने-अपने रास्ते चली गई। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रामनगर में भर्ती शिक्षिका ललिता सिंह पति तेजबली निवासी कंधवारी बीते 5 सितम्बर को घर से गिधैला में संचालित विद्यालय गई थी जहां स्कूल का काम लेकर पंचवटी बस से सतना रवाना हुई, तब से उसकी कोई खबर नहीं थी।

कई दिन तक तलाश करने के बाद पति ने 9 सितम्बर को थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने शिक्षिका को खोजने में कोई रूचि नहीं ली। परिजन तमाम प्रयास कर हताश हो चुके थे इस बीच 15 सितम्बर की सुबह गंगासागर निवासी युवक के पास आए अनजान फोन ने निराश चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ा दी। वह फोन ललिता ने रीवा के गोविन्दगढ़ थाना अंतर्गत परसाही गांव के किसी व्यक्ति का मोबाइल मांगकर किया था। बहन का फोन आते ही भाई परसाही गया और उसे घर ले आया जहां तबियत बिगडने पर डॉक्टर के पास ले गए जिन्होंने भर्ती कर उपचार शुरू कर दिया। हालत में सुधार होने पर शिक्षिका ने बताया कि पंचवटी बस से सतना स्टैंड में उतरने के बाद डीईओ कार्यालय जाने के लिए एक ऑटो में सवार हुई जिसमें चालक के अलावा 3 महिलाएं पहले से सवार थीं। बस स्टैंड से ऑटो सिविल लाइन की तरफ रवाना हुआ पर सर्किट हाउस के बाद शिक्षिका को होश नहीं रहा। पहले से बैठी महिलाओं ने ही कोई नशीली चीज सुंघाकर उसे बेसुध कर दिया और ऑटो चालक की मदद  से बंधक बना लिया। लगभग 3 दिन बाद महिला को होश आया तो खुद को एक अंधेरे कमरे में बंद पाया जहां एक युवती व एक महिला पूर्व से बंधक थीं। युवती का नाम सरिता था पर दूसरी महिला की भाषा ही समझ नहीं आ रही थी।

यह भी पढ़े: मां ने बेच दी थी अपनी बेटी, 12 साल बाद जब पुलिस ने छुड़ाया तो हुआ बड़ा खुलासा

दरवाजे के नीचे से देते थे खाना, पानी
होश आने के बाद 7 दिन तक शिक्षिका अन्य दोनों बंधकों के साथ कमरे में रही पर कभी भी अपहरणकर्ता सामने नहीं आए। इस दौरान मारपीट भी नहीं की गई। खाना-पानी व जरूरत की चीजें दरवाजे के नीचे से अंदर सरका दी जाती थीं। तीनों महिलाओं के गहने, मोबाइल व पर्स छीन लिए गए थे। बंधक रहने के दौरान उनमें अच्छी दोस्ती हो गई, तब बच निकलने की योजना बनाई और 14 सितम्बर की रात जब लगा कि अपहरणकर्ता आसपास नहीं है तो कमरे की एकमात्र खिड़की को तोड़कर तीनों बाहर निकल गई और पैदल चलकर मेन रोड तक आईं जहां से अपने-अपने रास्ते निकल गई। ललिता राहगीरों से पता पूंछते हुए रीवा रोड पर आई और पैदल चलते हुए शुक्रवार सुबह गोविंदगढ़ के परसाही गांव पहुंच गई जहां से किसी की मदद लेकर भाई को अपने आजाद होने की सूचना पहुंचाई। हालाकि अब तक पुलिस ने उसके बयान नहीं दर्ज किए हैं।

Similar News