10 साल से मिल रही तारीख-पर-तारीख, 149 किमी की रेल परियोजना का कार्य अब तक पूरा नहीं

10 साल से मिल रही तारीख-पर-तारीख, 149 किमी की रेल परियोजना का कार्य अब तक पूरा नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-05 15:45 GMT
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डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा से नागपुर तक गेज कन्वर्जन परियोजना को पूरा करने अब जून 2019 का लक्ष्य दिया गया है। छिंदवाड़ा उक्त परियोजना के पूरा होने का इंतजार पिछले 10 साल से कर रहा है। अधिकारी तारीख-पर-तरीख दे रहे हैं, लेकिन यह बताने तैयार नहीं हैं कि कार्य कब तक पूरा होगा। हैरानी की बात यह है कि10 साल होने के बाद भी 149 किमी की रेल परियोजना का कार्य अब तक पूरा नहीं हो सका है।

ऐसे चला तारीखों का क्रम
छोटी लाइन को बड़ी रेल लाइन में तब्दील करने का काम वर्ष 2007-08 में हुआ था। पहले 2014 तक परियोजना का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। बाद में दिसंबर 2018 तक काम कम्पलीट कर लेने का दावा किया गया। दिसंबर बीता तो मार्च 2019 पर बात हुई और अब नया लक्ष्य जून तक का निर्धारित किया गया है। हालांकि इस पर भी संदेह जाहिर किया जा रहा है। वह इसलिए कि साल भर तो प्रोजेक्ट रेल पटरियों के इंतजार में रहा। अब हाथ आई तो बिछाने के लिए वक्त लगेगा। बहरहाल परियोजना के पूरा होने का इंतजार कर रहे लोगों को निर्माण की कछुआ चाल ने मायूस कर दिया है।

665 करोड़ से 1420 करोड़ पहुंची लागत
छिंदवाड़ा से नागपुर तक कुल 149 किमी गेज कन्वर्जन प्रोजेक्ट की शुरूआत में लागत 665 करोड़ रुपए आंकी गई थी। काम की रफ्तार धीमी होने की वजह से न सिर्फ प्रोजेक्ट लेट हुआ बल्कि कास्ट भी लगातार बढ़ती गई। प्रोजेक्ट कास्ट बढ़कर अब करीब 1420 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है।

बजट के लिए हमेशा मुंह ताकने की स्थिति
परियोजना को बजट के लिए हमेशा ही सरकार की मेहरबानी के लिए मुंह ताकने की स्थिति रही। हर साल सौ-डेढ़ सौ करोड़ में ही काम चलाना पड़ा। तंगी की वजह से भी प्रोजेक्ट गति नहीं पकड़ पाया। हालांकि अब तक करीब 1200 करोड़ खर्च हो चुके हैं। इस बजट में परियोजना को सवा सौ करोड़ मिले हैं।

20 किमी का काम अब भी बाकी
भंडारकुंड से भिमालगोंदी के बीच करीब 20 किलोमीटर ट्रेक तैयार होना अभी बाकी है। अर्थवर्क हो चुका है, पटरियां बिछना अभी बाकी है। रेलवे छिंदवाड़ा से भंडारकुंड और इतवारी से केलवद तक ट्रेन दौड़ा चुका है। केलवद से भिमालगोंदी के बीच सीआरएस अभी बाकी है।

ऐसे समझ सकते हैं
1. परियोजना को मंजूरी 2005-06 में मिली थी। दो साल बाद वर्ष 2007-08 में काम चालू हुआ। जबकि रफ्तार 2009-10 में मिल पाई।
2. टनल के निर्माण ने प्रोजेक्ट की गति पर ब्रेक सा लगा दिया। करीब 820 मीटर की दो टनल रेलवे छह साल में बना पाया।
3. ब्रिज का काम भी धीमी गति से चला। 28 बड़े ब्रिज में से अब भी दो ब्रिज कंपलिट नहीं हो सके हैं।
4. बीता करीब एक वर्ष तो महज पटरियों के इंतजार में बीत गया। अर्थवर्क पूरा होने के बावजूद पटरियां नहीं होने से ट्रेक कंपलीट नहीं हो सका।

मंडला फोर्ट के लिए दो साल करना पड़ सकता है इंतजार
रेलवे की दूसरी परियोजना छिंदवाड़ा से मंडला फोर्ट का काम अब तक  65 से 70 फीसदी ही हो पाया है। 182.25 किलोमीटर लंबी उक्त गेज कन्वर्जन परियोजना के पूरा होने में दो साल का वक्त अभी और लग सकता है। हालांकि रेलवे ने जबलपुर से मंडला के पास चिरईडोंगरी तक काम पूरा कर ट्रेन भी दौड़ा दी है। बाकी काम में भी गति लाने का दावा रेलवे कर रहा है। फिर भी जानकारों का कहना है कि प्रोजेक्ट में अभी दो साल का वक्त और लग सकता है।

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