भौम प्रदोष व्रत: आज इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त  

भौम प्रदोष व्रत: आज इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त  

Manmohan Prajapati
Update: 2021-06-22 05:23 GMT
भौम प्रदोष व्रत: आज इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त  

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की प्रत्येक त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल होता है। त्रयोदशी जिस दिन होती है उस दिन के साथ प्रदोष का नाम जुड़ जाता है। जैसे सोमवार के दिन आने पर सोम प्रदोष, फिलहाल आज (22 जून, मंगलवार) मंगल प्रदोष है। चूंकि मंगल ग्रह का ही एक अन्य नाम भौम है और प्रदोष व्रत को मंगल प्रदोष या भौम प्रदोष कहते हैं। इस व्रत को रखने से भक्तों की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं दूर होती हैं और उनके शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार आता है। 

इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भौम प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए। पुराणों के अनुसार, भौम भूमि के पुत्र हैं। इस दिन के स्वामी हनुमानजी हैं जो रुद्र के ग्यारहवें अवतार माने जाते हैं। ऐसे में आज का दिन काफी शुभ है। क्यों कि मंगलवार को हनुमान जी की पूजा के लिए शुभ माना जाता है वहीं इसी दिन भौम प्रदोष का संयोग भी बन गया है। 

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पूजा का शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 22 जून, मंगलवार सुबह 10 बजकर 22 मिनट से 
त्रयोदशी तिथि समापन: 23 जून, सुबह 6 बजकर 59 मिनट तक 
भौम प्रदोष काल: आज शाम 07 बजकर 22 मिनट से रात्रि 09 बजकर 23 मिनट तक  

इस विधि से करें पूजा
- भौमप्रदोष व्रत के दिन व्रती को पूरा दिन मन ही मन ऊँ नमः शिवाय का जप करना चाहि। 
- पूरे दिन निराहार रहें। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिव जी का पूजन करें।
- व्रती संध्या काल को फिर से स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण करें।  
- पूजा स्थल अथवा पूजा गृह को शुद्ध कर लें और यदि व्रती चाहे तो शिव मंदिर में भी जा कर पूजा कर सकते हैं। 
- पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें। पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें। 
- कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें। कुश के आसन पर बैठ कर शिव जी की पूजा विधि विधान से करें।

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- ऊँ नमः शिवाय मन्त्र का जप करते हुए शिव जी को जल अर्पित करें।
- इसके बाद दोनों हाथ जो‌ड़कर शिव जी का ध्यान करें।
- ध्यान के बाद भौम प्रदोष व्रत की कथा सुने अथवा सुनाएं।
- इसके बाद शिव जी की आरती करें। 
- उपस्थित सभी जनों को आरती दें। सभी को प्रसाद वितरित करें। 
- इसके बाद भोजन करें। भोजन में केवल मीठी सामग्रियों का ही उपयोग करें।


 
 

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