अलईपुर का प्रसिद्ध 'शैलपुत्री' मंदिर, यहां दूर होते हैं वैवाहिक कष्ट

अलईपुर का प्रसिद्ध 'शैलपुत्री' मंदिर, यहां दूर होते हैं वैवाहिक कष्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-20 04:46 GMT
अलईपुर का प्रसिद्ध 'शैलपुत्री' मंदिर, यहां दूर होते हैं वैवाहिक कष्ट

डिजिटल डेस्क, वाराणसी। नवरात्रि के पहले दिन वृषभ पर सवार मां शैलपुत्री की पूजन का दिन माना गया है। नौ देवियों में ये सबसे जल्दी अपने भक्तों पर प्रसन्न वाली बताई गई हैं। इस अवसर पर हम आपको मां शैलपुत्री के एक ऐसे प्राचीन मंदिर की ओर लेकर जा रहे हैं जहां को लेकर मान्यता है कि यह स्थान माता को इतना प्रिय लगा कि वे यहीं विराजमान हो गईं। तब से अपने साक्षात रूप में वे भक्तों की मनोकामना सुनती हैं...

प्रतिपदा में लाखों भक्त 

यूपी के वाराणसी के अलईपुर में मां शैलपुत्री का यह प्राचीन मंदिर है। नवरात्रि के पहले दिन इस मंदिर में लाखों की संख्या में भक्त उमड़ते हैं। इसे लेकर मान्यता है कि प्रतिपदा के दिन मां शैलपुत्री के दर्शन मात्र से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

प्रचलित कथा 

इस मंदिर को लेकर एक स्थानीय कथा भी प्रचलित है। बताया जाता है कि मां पार्वती ने हिमवान की पुत्री के रूप में जन्म लिया और शैलपुत्री कहलाईं। एक बार की बात है जब माता किसी बात पर भगवान शिव से नाराज हो गई और कैलाश से काशी आ गईं। इसके बाद जब भोलेनाथ उन्हें मनाने आए तो उन्होंने महादेव से आग्रह करते हुए कहा कि यह स्थान उन्हें बेहद प्रिय लगा लग रहा है और वह वहां से जाना नहीं चाहतीं। कहा जाता है कि तब से माता का एक रूप यहीं विराजमान हैं। 

तीन बार आरती 

इस मंदिर में दिन में तीन बार आरती होती है और चढ़ावे में इन्हें नारियल के साथ सुहाग का सामान चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी। इसलिए इनके दर्शन मात्र से सभी वैवाहिक जोड़ों के कष्ट दूर हो जाते हैं।
 

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