तीसरे दिन 'चंद्रघंटा', इनके पूजन से सुनाई देने लगती हैं ऐसी आवाजें

तीसरे दिन 'चंद्रघंटा', इनके पूजन से सुनाई देने लगती हैं ऐसी आवाजें

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-22 05:05 GMT
तीसरे दिन 'चंद्रघंटा', इनके पूजन से सुनाई देने लगती हैं ऐसी आवाजें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्र के तीसरे दिन इनका पूजन-उपासना की जाती है। जाे कि इस बार 23 सितंबर को की जाएगी। इस दिन साधक का मन मणिपूर चक्र में प्रविष्ट होता है। इनके मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। ये सोने की समान चमकीले रंग की हैं। इनके दस हाथ इनके खड्ग, शस्त्र तथा बाण से सुसज्जित हैं। इनका वाहन सिंह अर्थात शेर है। घंटे के समान भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव.दैत्य और राक्षस कांपते रहते हैं। 

इस मंत्र से करें प्रसन्न

या देवी सर्वभू‍तेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमरू।।

साधक को मिलेगी शांति

कहा जाता है कि इस दिन श्रद्धा भाव से पूजा करने वाले  भक्तों को माता चन्द्रघंटा के आशीर्वाद से अदभुत चीजों के दर्शन होते हैं। भक्त अपने आस-पास अालाैकिक खुशबू को महसूस करते हैं। उन्हें अलग-अलग तरह की ध्वनी सुनाई देती है जिससे भक्तों को डरना नही चाहिए । माता चन्द्र घंटा का रूप साधक को शांति और कल्याणकारी प्रदान करने वाला होता है। इसलिए हमें पूजा करते समय निरंतर माता के विग्रह रूप का दर्शन करते रहना चाहिए। 
 
ब्रम्हचर्य व्रत का पालन

इनकी पूजा उपासना में पूर्णतः शुद्ध मन और पवित्र आचरण के साथ करना चाहिए। इसके लिए ब्रह्मचर्य व्रत का पालन आवश्यक बताया गया है। पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद दुर्गा सप्तशती के तीसरे अध्याय को पढ़ना उत्तम बताया गया है। मां के 108 नाम और साथ ही दुर्गा चालीसा पढ़कर आरती करें व उसके बाद जल सूर्य को अर्पित कर दें। इनकी पूजा दूध से की जाती है। छोटी बच्ची को दूध का दान माता को प्रसन्नता प्रदान करता है। 

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