दूसरे दिन 'ब्रम्हचारिणी', 108 बार करें इस मंत्र का जाप
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 22 सितंबर शुक्रवार को नवरात्र के दूसरी दिन मां ब्रम्हचारिणी के पूजन का दिन है। मां ब्रम्हचारिणी का स्वरूप बहुत ही सुंदर है। उनके दाहिने हाथ में गुलाब और बाएं हाथ में पवित्र पानी के बर्तन (कमंडल) हैं। वह पूर्ण उत्साह से भरी हुई हैं।
उनके तप के पीछे की एक कथा पुराणों में वर्णित है। कहा जाता है कि एक दिन वे अपने मित्रों के साथ खेल में व्यस्त थीं। तभी नारद मुनि उनके पास आये और बताया कि तुम्हरी शादी भोलेनाथ से होगी और उन्होंने उन्हें सती की कहानी भी सुनाई।
नारद मुनि ने उन्हें बताया कि उन्हें भोलेनाथ को पति रूप में पाने के लिए कठोर करना पड़ेगा। इसके बाद मां पार्वती ने अपनी मां मेनका से कहा की वह शम्भू (भोलेनाथ) से ही शादी करेंगी नहीं तो वह अविवाहित रहेंगी। यह बोल वे जंगल में तपस्या करने के लिए चली गईं। उनके कठिन तप ने शिव को प्रसन्न किया। इसलिए उन्हें ब्रम्हचारिणी कहा जाता है।
ऐसे करें मां की पूजा
मां के चित्र, प्रतिमा के सामने पुष्प, दीपक, नैवेद्य आदि अर्पण कर स्वच्छ कपड़े पहने आसन पर विराजमान हो और निम्न मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें:
दधानां करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डल।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
Created On :   21 Sep 2017 6:16 AM GMT