Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन, जानें स्कंदमाता की विधि और स्वरूप

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नवरात्रि का महा पर्व माता दुर्गा की उपासना का एक विशेष अवसर माना जाता है। इन नौ दिनों में देवी के अलग- अलग स्वरूपों की आराधना की जाती है। वहीं पांचवां दिन मां स्कंदमाता (Maa Skandamata) को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि, जो भी व्यक्ति मां स्कंदमाता की पूजा करता है उसे सुख-समृद्धि के साथ-साथ दिव्य ज्ञान और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। इस वर्ष स्कंदमाता की पूजा 27 सिंतबर 2025, शनिवार को की जा रही है।
शास्त्रों के अनुसार, शिवपुत्र "कार्तिकेय" स्कंद कुमार के नाम से भी जाने जाते हैं। कार्तिकेय देव देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इनको कुमार और शक्ति बल कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। इनको पद्मासना देवी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं माता का स्वरूप और पूजा विधि...
ऐसा है स्वरूप
स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनी तरफ की ऊपर की भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई हैं, उसमें कमल पुष्प है। दाईं तरफ की नीचे वाली भुजा वरमुद्रा में और ऊपर वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प लिए हुए हैं। ये कमलासन पर विराजमान रहती हैं। जिस कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है और सिंह इनका वाहन है।
पूजन विधी
- पूजा के दौरान पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर लें और लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
- इसके बाद चौकी पर देवी स्कंदमाता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करके उन्हें पीले रंग के फूल और श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
- माता को इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनाएं।
- पूजन में सफेद व पीले पुष्प मां को अर्पित करें।
- स्कंदमाता का ध्यान करते हुए उनके मंत्र का 108 बार जाप करें।
- देवी को इलायची, लौंग, पान का पत्ता, माला आदि अर्पित करें।
- स्कंदमाता को केला व दूध से बनी खीर का भोग लगाएं, यह माता को अत्तयंत प्रिय है।
- व्रत कथा का पाठ करने के पश्चात संक्दमाता की आरती करें।
- अंत में चढ़ाया हुआ प्रसाद सभी को बांट दें।
स्कंदमाता मंत्र- ॐ स्कंदमात्रै नमः॥
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Created On :   26 Sept 2025 6:17 PM IST










