Shardiya Navratri 2025: मां कालरात्रि की पूजा से भय का होगा नाश, जानिए पूजा विधि और मंत्र

डिजिटल डेस्क, भोपाल। शारदीय नवरात्रि में सप्त्मी तिथि का काफी महत्व बताया गया है और इसे महासप्तमी भी कहा जाता है। यह दिन मां कालरात्रि (Maa Kalratri) को समर्पित है। आदिशक्ति का यह उग्र स्वरूप दुष्टों और राक्षसों के संहार के लिए होता है। मां कालरात्रि भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं और इन्हें शुभंकरी भी कहते हैं। इस बार सोमवार, 29 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है।
इस दिन व्रत रखने के साथ ही पूरी श्रद्धा और भक्ति से मां कालरात्रि की आराधना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि, मां कालरात्रि की पूजा से नकारात्मक प्रभाव बेअसर होते हैं, यही नहीं इनकी पूजा से भय का भी नाश होता है। आइए जानते हैं कैसा है मां कालरात्रि का स्वरूप, पूजा विधि और मंत्र के बारे में...
मां कारात्रि का स्वरूप
माता कालरात्रि तीन नेत्रों वाली माता है। इनका रंग काला है और ये अपने विशाल बालों को फैलाए हुए हैं। इनकी चार भुजाएं हैं और सिंह के कंधे पर सवार मां कालरात्रि का विकराल रूप अद्भुत हैं। मां कालरात्रि की सवारी गधा है। देवी कालरात्रि अपने हाथ में चक्र, गदा, तलवार,धनुष,पाश और तर्जनी मुद्रा धारण किए हुए हैं। वहीं माता माथे पर चन्द्रमा का मुकुट धारण किए हुए हैं।
पूजा विधि
- सुबह सूर्योदय से पूर्व उठें स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- इसके बाद सूर्यदेव को जल चढ़ाएं और व्रत का संकल्प लें।
- अब घर के मंदिर की सफाई करें।
- मां की आराधना करें।
- मां को रोली,अक्षत, दीप, धूप अर्पित करें।
- मां को रातरानी का फूल और गुड़ अर्पित करें।
- इसके बाद दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- मां कालरात्रि की आरती करें।
मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
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Created On :   27 Sept 2025 11:39 PM IST










