जानिए इस दिन का महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि

उत्पन्ना एकादशी जानिए इस दिन का महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि

Manmohan Prajapati
Update: 2021-11-27 10:17 GMT
जानिए इस दिन का महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में हर व्रत का अपना एक अलग ही महत्व है। वैसे मो एकादशी महीने में दो बार आती है, इनमें से मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी नाम से जाता है। यह एकादशी इस वर्ष 30 नवंबर, मंगलवार को पड़ रही है। पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने उत्पन्न होकर राक्षस मुर का वध किया था। इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। 

मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से मनुष्यों के पिछले जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इस दिन भक्त पूरे विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ती होती है। आइए जानते है एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...

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शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 30 नवंबर 2021, मंगलवार सुबह 04:13 बजे से 
तिथि समापन: 01 दिसंबर 2021, बुधवार मध्यरात्रि 02: 13 बजे तक 
व्रत पारण समय: 01 दिसंबर 2021, सुबह 07:34 बजे से 09: 01 मिनट तक 

पूजा विधि
एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठें।
नित्यक्रमादि से निवृत्त होकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं और श्रीहरि का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद घर के मंदिर को साफ करें और फिर पूजा करें।

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धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह सामग्री से भगवान विष्णु की पूजा करें।
व्रत की समाप्ति पर श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा मांगें। 
अगली सुबह यानी द्वादशी तिथि पर पुनः भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर ब्राह्मण को भोजन कराएं। 
भोजन के बाद ब्राह्मण को क्षमता के अनुसार दान देकर विदा करना चाहिए।

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