चीन के दबाव में एयर इंडिया ने वेबसाइट पर ताइवान का नाम बदल किया चीनी ताइपे

चीन के दबाव में एयर इंडिया ने वेबसाइट पर ताइवान का नाम बदल किया चीनी ताइपे

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-04 19:23 GMT
चीन के दबाव में एयर इंडिया ने वेबसाइट पर ताइवान का नाम बदल किया चीनी ताइपे
हाईलाइट
  • एअर इंडिया की वेबसाइट पर ताइवान को स्वतंत्र देश के रूप में दिखाया जा रहा था।
  • चीन से मिली धमकी के बाद आखिरकार एयर इंडिया को झुकना पड़ा और उसने नाम बदल दिया।
  • चीन के दबाव में एयर इंडिया ने अपनी वेबसाइट पर ताइवान का नाम बदलकर चीनी ताइपे कर दिया है।
  • चीन ने इस पर अपनी आपत्ति जाहिर की थी।

डिजिटल डेस्क, बीजिंग। चीन के दबाव में एयर इंडिया ने अपनी वेबसाइट पर ताइवान का नाम बदलकर चीनी ताइपे कर दिया है। दरअसल एअर इंडिया की वेबसाइट पर ताइवान को स्वतंत्र देश के रूप में दिखाया जा रहा था। चीन ने इस पर अपनी आपत्ति जाहिर की थी। चीन से मिली धमकी के बाद आखिरकार एयर इंडिया को झुकना पड़ा और उसने नाम बदल दिया।

चीन ने जारी किया था आदेश
दरअसल, चीन की नागरिक उड्डयन प्राधिकरण की ओर से 25 अप्रैल को आदेश जारी किया गया था। इस आदेश में कहा गया था कि वह नहीं चाहता है कि ताइवान को स्वतंत्र देश के रूप में दर्शाया जाए। इसके बाद सिंगापुर एयरलाइंस, जापान एयरलाइंस और एयर कनाडा समेत कई विमानन कंपिनियों ने भी अपनी वेबसाइट में बदलाव किया था और ताइवान की जगह चीनी ताइपे कर दिया था। चीन ने एयर इंडिया एयरलाइंस को भी ये पत्र भेजा था जिसमे 25 जुलाई तक का नाम बदलने के लिए कहा गया था।

 



चीन और ताइवान का क्या है विवाद?
ताइवान खुद को अलग राष्‍ट्र के तौर पर स्‍थापित कर रहा है जबकि चीन ताइवान को अपना ही हिस्‍सा मानता है। ताइवान की कहानी 1642 से शुरू होती है, जब यहां पर नीदरलैंड्स का राज था। इसके बाद चीन के चिंग राजवंश ने 1895 तक ताइवान पर राज किया। इसके बाद ताइवान जापान के हाथों में चला गया। दूसरे विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने ताइवान को चीन के मिलिट्री कमांडर चैंग काई के हवाले कर दिया था।

ताइवान ने ठुकराया प्रस्ताव
कुछ साल तक सब ठीक रहा, लेकिन बाद में चैंग काई की सेना को कम्युनिस्ट सेना से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद चैंग और उनके सहयोगी चीन से भागकर ताइवान चले आए। इस बीच चीन के साथ उसका टकराव चलता रहा, लेकिन दोनों के बीच के रिश्‍तों में 1980 के दशक में सुधार आया और ताइवान के सामने एक प्रस्‍ताव रखा। इस प्रस्‍ताव में कहा गया था कि "वन कंट्री टू सिस्टम" के तहत ताइवान खुद को चीन का हिस्‍सा स्‍वीकार कर ले और चीन उसे स्वायत्ता प्रदान कर देगा, लेकिन ताइवान ने इसे ठुकरा दिया।  

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