अक्टूबर में भारत आएंगी पीएम हसीना, तीस्ता जल विवाद होगा खत्म!

अक्टूबर में भारत आएंगी पीएम हसीना, तीस्ता जल विवाद होगा खत्म!

Bhaskar Hindi
Update: 2019-09-12 10:22 GMT
अक्टूबर में भारत आएंगी पीएम हसीना, तीस्ता जल विवाद होगा खत्म!
हाईलाइट
  • 3 से 6 अक्टूबर भारतीय आर्थिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगी हसीना
  • बांग्लादेश पीएम शेख हसीना अक्टूबर में भारत दौरे पर आएंगी
  • शेख हसीना और पीएम मोदी के बीच 5 अक्टूबर को होगी द्विपक्षीय वार्ता

डिजिटल डेस्क,ढाका। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना अक्टूबर में भारत दौरे पर आएंगी। हसीना ने तीस्ता जल विवाद सहित कई मुद्दों पर भारत से सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद जताई है। उन्होंने बुधवार को संसद में कहा कि भारत के साथ करीब 22 वर्ष से चले आ रहे तीस्ता जल विवाद को सुलझा लिया जाएगा। भारत यात्रा से पहले कई मुद्दों पर हमें सकारात्मक परिणाम नजर आएंगे।

3 से 6 अक्टूबर भारत में रहेंगी हसीना

पीएम शेख हसीना 3 से 6 अक्टूबर को भारत में रहेंगी। यहां वह नई दिल्ली में आयोजित विश्व आर्थिक मंच के भारतीय आर्थिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगी। हसीना और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच 5 अक्टूबर को द्विपक्षीय बैठक होगी। 

कई मुद्दों पर होगी चर्चा

हसीना ने कहा कि भारत यात्रा के दौरान तीस्ता समेत कई मुद्दों पर मोदी से बात करेंगी। उन्होंने कहा, बांग्लादेश और भारत के बहुत अच्छे संबंध है। दोनों देशों के बीच पहले से ही सुरक्षा, व्यापार, बिजली, ऊर्जा, संचार, विकास सहायता, पर्यावरण और शिक्षा समेत कई समझौते पर करार हो चुके हैं। वहीं पीएम मोदी ने अपनी पिछली बांग्लादेश यात्रा के दौरान तीस्ता मुद्दे की समस्या को हल करने का आश्वासन दिया था।

क्या है तीस्ता विवाद ?

तीस्ता नदी हिमालय के पाहुनरी ग्लेशियर से निकलती है। बांग्लादेश की करीब 2 करोड़ और भारत के 1 करोड़ लोगों इस नदी पर निर्भर हैं। 1815 में नेपाल के राजा और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच तीस्ता नदी पानी को लेकर समझौता हुआ था। तब नदीं के बड़े हिस्सों पर अंग्रेजों का नियंत्रण था। वर्ष 1983 में भारत और बांग्लादेश के बीच नदी को लेकर समझौता हुआ। जिसमें 36 प्रतिशत पानी बांग्लादेश और बाकी भारत के हिस्से में आया। बांग्लादेश इस समझौता पर दोबारा विचार करने पर अड़ा है, क्योंकि दिसंबर से मार्च तीस्ता नदी में पानी का बहाव कम हो जाता है। इस वजह से बांग्लादेश में मछुआरों और किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

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