डोकलाम चीन का हिस्सा, बदलाव करने जैसा कुछ नहीं : चीन

डोकलाम चीन का हिस्सा, बदलाव करने जैसा कुछ नहीं : चीन

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-26 11:55 GMT
डोकलाम चीन का हिस्सा, बदलाव करने जैसा कुछ नहीं : चीन

डिजिटल डेस्क, बीजिंग। डोकलाम में भारत-चीन के बीच पैदा हुए विवाद को चीन की देन बताने वाले भारतीय राजदूत गौतम बंबावले की टिप्पणी पर चीन की ओर से प्रतिक्रिया आई है। चीन की ओर से कहा गया है कि भारत को यह समझ लेना चाहिए कि डोकलाम चीन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां चीन की गतिविधियां अपने सार्वभौम अधिकार के तहत हैं। इसमें यथास्थिति बदलनी जैसा कुछ भी नहीं है। दरअसल, गौतम बंबावले ने अपने हालिया इंटरव्यू में पिछले साल डोकलाम में चले 73 दिन के विवाद का कारण चीन द्वारा क्षेत्र में यथास्थिति में बदलाव बताया था।

बंबावले की टिप्पणी पर जवाब देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, "डोकलाम चीन का एक अभिन्न अंग है और इसे साबित करने के लिए हमारे पास ऐतिहासिक संधिपत्र भी है।" उन्होंने कहा, "भारत को डोकलाम में हुए पिछले गतिरोध से सबक लेना चाहिए और ऐतिहासिक संधिपत्रों के तहत इस क्षेत्र पर चीन के अधिकार को स्वीकार भी करना चाहिए।" हुआ चुनयिंग ने यह भी कहा कि पिछले साल चला डोकलाम विवाद भारत-चीन के सम्मिलत प्रयासों से सुलझा था। आगे भी दोनों देशों को बेहतर सम्बंध विकसीत करने पर ध्यान देना चाहिए।

बता दें कि चीन में भारतीय राजदूत गौतम बंबावले ने पिछले शनिवार को डोकलाम गतिरोध से सबक लेते हुए चीन को अपनी यथास्थिति में बदलाव न करने के लिए कहा था। हॉन्गकॉन्ग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि डोकलाम समस्या चीन द्वारा अपनी यथास्थिति में बदलाव करने के कारण पैदा हुई थी, यदि फिर से सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन अपनी स्थिति में बदलाव लाता है तो डोकलाम जैसी समस्या एक बार फिर पैदा हो सकती है।

बंबावले ने कहा था, "डोकलाम में आज कोई तब्दीली नहीं हो रही है।  रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि चीनी सेना द्वारा सीमावर्ती क्षेत्र में ढांचागत निर्माणकार्य तेज कर दिया गया है। हालांकि यह उनके क्षेत्र में है और संवेदनशील क्षेत्र से काफी पीछे है इसलिए भारत को इसपर कोई आपत्ति नहीं है।" बंबावले ने कहा था कि भारत और चीन अपने-अपने क्षेत्र में निर्माण कार्य करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन हां जब संवेदनशील क्षेत्र में निर्माण कार्य करना हो तो पड़ोसी देश को इस पर सूचना देनी चाहिए कि हम यहां सड़क या कुछ और बनाने जा रहे हैं। अगर दूसरा पक्ष इस पर सहमत नहीं है, तो वह कह सकता है कि आप यथास्थिति बदल रहे हैं। इस पर फिर बातचीत के जरिए आगे बढ़ना चाहिए।

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