ट्रंप का डिप्लोमेटिक एशिया दौरा: चीन को नार्थ कोरिया के खिलाफ लाने की तैयारी

ट्रंप का डिप्लोमेटिक एशिया दौरा: चीन को नार्थ कोरिया के खिलाफ लाने की तैयारी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-07 15:28 GMT
ट्रंप का डिप्लोमेटिक एशिया दौरा: चीन को नार्थ कोरिया के खिलाफ लाने की तैयारी

डिजिटल डेस्क, टोक्यो। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने पहले आधिकारिक एशिया दौरे पर हैं। डोनाल्ड ट्रंप मंगलवार को साउथ कोरिया की राजधानी सियोल पहुंचे। अपनी चीन यात्रा के पहले ट्रंप ने सियोल में एक कार्यक्रम के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की काफी तारीफ की। ट्रंप ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग नॉर्थ कोरिया द्वारा किए जा रहे परमाणु हथियारों के लगातार परिक्षणों से बढ़ रहे खतरे से निपटने में मददगार साबित होंगे। आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इससे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की जमकर तारीफ की थी। डोनाल्ड ट्रंप 8 नवंबर बुधवार को अपनी पत्नी मेलानिया के साथ चीन पहुंचेंगे।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति 11 दिन के एशिया दौरे पर हैं और अपनी इसी यात्रा के दौरान हाल ही में जापान में थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नॉर्थ कोरिया के खिलाफ सभी देशों को एक साथ लाने की रणनीति बना रहे हैं। मंगलवार को चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग की तारीफ करते हुए ट्रंप ने कहा कि शी पहले भी इस मुदे्दे पर काफी मददगार रहे हैं। ट्रंप ने आगे कहा कि विश्व के हर देश के लिए उत्तर कोरिया एक बड़ा खतरा है और उसके खिलाफ सभी को एकजुटता दिखानी होगी। ट्रंप ने कहा कि रूस और चीन दोनों ही नॉर्थ कोरिया के मसले पर सहायक होंगे। 

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उत्तर कोरिया पर पुतिन की मदद चाहते हैं ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने जापान दौरे पर कहा था कि वे अपनी एशिया यात्रा के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर सकते हैं। ट्रंप ने जापान में कहा कि वे उत्तर कोरिया के मुद्दे पर राष्ट्रपति पुतिन की मदद चाहते हैं और वे इसके लिए अपनी यात्रा के दौरान कई नेताओं से मुलाकात करेंगे। ट्रंप ने व्लादिमीर पुतिन की तारीफ करते हुए कहा, कि जितना दुनिया जानती या समझती है, उससे ज्यादा महान हैं। वे मेहनती, नरम और अच्छे इंसान हैं।

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आपको बता दें कि चीन, नॉर्थ कोरिया की कूटनीतिक स्तर पर मददगार रहा है और अमेरिका के खिलाफ नॉर्थ कोरिया की बयानबाजी का समर्थन करता रहा है हालांकि नॉर्थ कोरिया द्वारा परमाणु हथियारों के लगातार परिक्षणों से चीन ने अपना रुख बदल लिया है।

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