भारत और सिंगापुर के बीच समझौता, चीन को सताने लगी चिंता

भारत और सिंगापुर के बीच समझौता, चीन को सताने लगी चिंता

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-29 12:48 GMT
भारत और सिंगापुर के बीच समझौता, चीन को सताने लगी चिंता

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और सिंगापुर के बीच हुए फ्यूल समझौता चीन के लिए चीन की चिंताएं बढ़ा सकता है। इस समझौते की भनक लगते ही चीन को अभी से ही चिंता सताने लगी है। चीन की चिंताएं समझौते को लेकर नहीं बल्कि दक्षिण चीन सागर को लेकर बढ़ रही हैं। दरअसल भारत के नौसैनिक जहाज समझौते के तहत अब सिंगापुर से फ्यूल ले सकते हैं। इसके लिए दक्षिण चीन सागर शिपिंग रूट महत्वपूर्ण है, जिसे चीन अपना जल क्षेत्र होने का दावा करता है।

जानकारी के अनुसार बुधवार को ही भारत और सिंगापुर के रक्षा मंत्रियों के बीच चर्चा हुई। इसमें दोनों देशों की नौसेनाओं के सहयोग पर अग्रीमेंट हुआ। इसके तहत दोनों देश एक दूसरे की नौसैनिक सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकेंगे। लॉजिस्टिक सपॉर्ट भी मिलेगा। सिंगापुर के रक्षा मंत्री एन.ई.हेन ने कहा, "हम अपने नौसैनिक अड्डे पर भारत के नौसैनिक जहाजों को आते-जाते देखना चाहेंगे।

दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने समुद्री आवाजाही की आजादी और अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक कारोबार को जरूरी बताया है। दोनों देशों की नौसेनाएं मलक्का स्ट्रेट में सहयोग बढ़ाएंगी। इस गलियारे के दोनों तरफ भारत और सिंगापुर का रोल बेहद अहम है। चीन का ज्यादातर तेल आयात मलक्का स्ट्रेट के संकरे समुद्री गलियारे से होता है।"

सिंगापुर विदेश मंत्री को पसंद आया "तेजस"

इससे पहले मंगलवार को रक्षा मंत्री एनई हेन ने भारत के स्वदेश निर्मित बहुद्देशीय हल्के लड़ाकू विमान तेजस को "शानदार और बहुत प्रभावशाली" बताया। हेन ने पश्चिम बंगाल के कलाईकुंडा हवाई अड्डे पर पहले विदेशी नागरिक के तौर पर तेजस में करीब आधे घंटे तक उड़ान भरी। इस उड़ान के बाद संवाददाताओं से कहा कि ये शानदार एयरक्राफ्ट है। मैं इससे काफी प्रभावित हुआ हूं।

चीन और सिंगापुर के बीच रिश्ते

चीन और सिंगापुर के बीच रिश्ते काफी अच्छे माने जाते हैं। सिंगापुर के चीन से अच्छे कारोबारी संबंध हैं, जबकि वह सैन्य नजरिये से अमेरिका के करीब है। समुद्री इलाकों में चीन के कारण मिल रही चुनौतियों को देखते हुए भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया को साथ आते देखा जा रहा है। इन चारों देशों के साथ क्या सिंगापुर भी आ सकता है, इस अटकल को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने खारिज नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि अभी हम सिंगापुर के साथ द्विपक्षीय सहयोग चाहते हैं और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान के साथ भी सहयोग बढ़ाना चाहते हैं।

भारत का आसियान देशों से संबंध

गौरतलब है कि सिंगापुर आसियान का सदस्य देश है। भारत इन दिनों आसियान के दूसरे सदस्यों वियतनाम, म्यांमार, मलयेशिया और इंडोनेशिया से भी रक्षा संबंध बढ़ा रहा है। चीन और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों (फिलिपींस, ब्रुनेई, मलयेशिया और विएतनाम) के बीच इस पर विवाद है और सिंगापुर विवाद सुलझाने की कोशिश कर रहा है। सिंगापुर में अगले साल शंगरीला डायलॉग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे और हिंद महासागर क्षेत्र पर भारत का नजरिया रखेंगे।

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