Russia: राष्ट्रपति पुतिन के प्रवक्ता ने नवालनी को जहर दिए जाने के आरोपों को खारिज किया, कहा- जर्मनी ने कोई सबूत नहीं दिया

Russia: राष्ट्रपति पुतिन के प्रवक्ता ने नवालनी को जहर दिए जाने के आरोपों को खारिज किया, कहा- जर्मनी ने कोई सबूत नहीं दिया

Bhaskar Hindi
Update: 2020-09-03 16:45 GMT
Russia: राष्ट्रपति पुतिन के प्रवक्ता ने नवालनी को जहर दिए जाने के आरोपों को खारिज किया, कहा- जर्मनी ने कोई सबूत नहीं दिया
हाईलाइट
  • अलेक्सेई नवालनी को जहर दिए जाने के आरोपों को रूस ने खारिज किया
  • जर्मनी की सरकार ने कहा था रूस के विपक्षी नेता को नोविचोक नर्व एजेंट ज़हर दिया गया
  • पुतिन के प्रवक्ता ने कहा कि जर्मनी ने नवालनी को जहर दिए जाने का कोई भी सबूत नहीं दिया

डिजिटल डेस्क, मॉस्को। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता ने गुरुवार को एक बार फिर विपक्षी नेता अलेक्सेई नवालनी को जहर दिए जाने के आरोपों को खारिज किया। पुतिन के प्रवक्ता ने कहा कि जर्मनी ने नवालनी को जहर दिए जाने का कोई भी सबूत नहीं दिया है। बता दें कि नवालनी का जर्मनी के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। डॉक्टरों को एक सैन्य लेबोरेट्री में हुए टॉक्सिकोलॉजी टेस्टों में नोविचोक ग्रुप के एक एजेंट के पाए जाने का पक्का सबूत मिला। इस आधार पर जर्मनी की सरकार ने कहा था रूस के विपक्षी नेता को नोविचोक नर्व एजेंट ज़हर दिया गया है।

क्या है नोविचोक और कितना जहरीला?
1970 से लेकर 1980 के बीच विकसित नर्व एजेंट्स के ग्रुप को नोविचोक कहा जाता है। ये नर्व से मांसपेशियों तक संदेश को अवरुद्ध कर देते हैं जिससे शरीर की कई गतिविधियां रुक जाती है। सोवियत संघ के फ़ोलिएंट कोड नेम वाले एक कार्यक्रम के तहत बनाए गए ये केमिकल चौथी पीढ़ी के रासायनिक हथियार हैं। नोविचोक के बारे में 90 के दशक में डॉक्टर विल मीरज़ायानोव ने रूसी मीडिया के ज़रिये जानकारी दी थी। बाद में वह देश छोड़ अमरीका चले गए थे, जहां उन्होंने अपनी किताब "स्टेट सीक्रेट्स" में इसका फॉर्मूला छापा था। इसी तरह का जहर दो साल पहले भी खूब चर्चित हुआ था जब ब्रिटेन में रह रहे पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी को इसी जहर से निशाना बना कर मार डाला गया था। रूस ने कभी इस जहर के मामले में अपना हाथ होने को स्वीकर नहीं किया।

क्या है पूरा मामला?
ये बात 20 अगस्त 2020 की है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन विरोधी रूस के बड़े नेता अलेक्सेई नवालनी साइबेरिया के टॉम्स्क शहर से एक विमान से मॉस्को जा रहे थे। विमान को उड़ान भरे अभी कुछ ही वक्त हुआ था कि उन्होंने तबीयत खराब होने की शिकायत की। मामला गंभीर था, इसलिए प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। साइबेरिया के ही दूसरे शहर ऑम्स्क में ये लैंडिंग हुई। अलेक्सेई को अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद जर्मनी ने एयर एबुलेंस भेजी और उन्हें इलाज के लिए जर्मनी ले जाया गया। जांच में मालूम चला कि उन्हें ज़हर दिया गया है। शक जताया गया कि टॉम्स्क एयरपोर्ट के कैफे में अलेक्सेई ने चाय पी थी, उसी चाय में ज़हर मिलाकर पिलाया गया। 

कौन है अलेक्सेई?
पेशे से वकील रहे अलेक्सेई का रूस की राजनीति में उभार 2008 से दिखता है। उन्होंने रूस सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना शुरू किया और एक नेशनलिस्ट नेता के तौर पर अपनी छवि बनाना शुरू की। उन्होंने सरकार के कॉन्ट्रैक्ट्स में फ्रॉड के मामले उजागर किए। 2011 में अलेक्सेई ने एंटी करप्शन फाउंडेशन नाम का संगठन बनाया। इसके जरिए वह सरकारी भ्रष्टाचार पर पुतिन को सीधे ललकारने लगे। 2013 में उन्होंने मॉस्को में मेयर का चुनाव लड़ा लेकिन पुतिन के उम्मीदवार से हार गए। हारने पर उन्होंने कहा कि चुनाव में धांधली हुई है। उसके बाद उन पर केस लगते गए। एक केस में 5 साल की सजा हुई। दूसरे केस में साढ़े तीन साल की सजा हुई। कुछ साल वो जेल में रहे फिर घर पर नज़रबंद कर दिया गया।

2016 में जब वो बाहर आए तो प्रदर्शन आयोजित कराने लगे। 2017 में उन्हें पुतिन के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए तीन बार जेल हुई। 2018 में रूस में राष्ट्रपति का चुनाव होना था। पुतिन को मात देने के लिए अलेक्सेई तैयारी कर रहे थे। लेकिन रूस के चुनाव आयोग ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया। अलेक्सेई चुनाव नहीं लड़ पाए लेकिन पुतिन के खिलाफ प्रदर्शन जारी रखे। जुलाई 2019 में मॉस्को के सिटी हॉल में प्रदर्शन बुलाने के लिए उन्हें एक महीने की कैद हुई। अक्टूबर 2019 में उनके संगठन एंटी करप्शन फाउंडेशन को विदेशी एजेंट घोषित किया और बैन लगा दिया गया। उनके दफ्तरों पर छापे मारे गए और मॉस्को छोड़ने पर भी कुछ दिन के लिए बैन लगा दिया गया।

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