Coronavirus: दुनिया में तबाही मचाने वाला सिर्फ कोरोना वायरस ही नहीं, बल्कि चमगादड़ में वायरस की फैमिली रहती है

Coronavirus: दुनिया में तबाही मचाने वाला सिर्फ कोरोना वायरस ही नहीं, बल्कि चमगादड़ में वायरस की फैमिली रहती है

Bhaskar Hindi
Update: 2020-04-01 13:52 GMT
Coronavirus: दुनिया में तबाही मचाने वाला सिर्फ कोरोना वायरस ही नहीं, बल्कि चमगादड़ में वायरस की फैमिली रहती है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नोवल कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया है और तबाही मचा रहा है। हमें ये तो पता है कि कोरोनावायरस संक्रमण का पहला मामला चीन के वुहान शहर में सामने आया था, लेकिन ये अब तक ये नहीं पता चल पाया है कि ये वायरस इंसानों तक कैसे पहुंचा। तमाम देश इस वायरस के ओरिजन का पता लगाने में जुटे हैं।

वायरस की फैमिली है कोरोनावायरस
कोरोनावायरस किसी एक इकलौते वायरस का नाम नहीं है। यह वायरस की एक पूरी फैमिली है। इस वायरस का इंटरेस्टिंग फैक्ट ये हैं कि आपको जो सर्दी जुखाम होता है वो भी एक तरह का कोरोनावायरस है। 2002-2003 में सार्स वायरस फैला था, वो भी एक तरह का कोरोनावायरस था। अभी जो वायरस लोगों को संक्रमित कर रहा है वो भी एक तरह का कोरनावायरस है। 31 दिसंबर 2019 को ये चीन के शहर वुहान में पाया गया था। नए कोरनावायरस का नाम N-COV रखा गया है, यानी नोवल कोरोनावायरस। नोवल का मतबल होता है नया। ये वायरस इतना नया है कि चीन इसका नाम भी नहीं सोच पाया था और इसका नाम N-COV रख दिया। 

कोरोनावायरस का ओरिजनल सोर्स कोई जानवर
कोरोनावायरस से होने वाली बीमारियां जैसे कोविड-19 ज़ूनॉटिक होती है। ज़ूनॉटिक का मतलब है कि वे इंसानों और जानवरों के बीच ट्रांसमिट होते हैं। ज्यादातर कोरोनावायरस का ओरिजिनल सोर्स कोई न कोई जानवार ही होता है। ये इंसान को संक्रमित करता है और फिर ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन से ये इंसानों के बीच फैल जाता है। SARS-CoV के केस में सोर्स बिल्ली थी। मेर्स (MERS-CoV) कोरोनावायरस 2012-2013 में मिडिल ईस्ट में फैला था। इसका सोर्स ऊंट था। हालांकि ऐसा माना जाता है कि दोनों ही वायरस चमगादड़ से ओरिजिनेट हुए और फिर ये दूसरों जानवरों में पास हो गए और इंसानों तक पहुंच गए।

जो नया कोरोनावायरस फैला है इसके ओरिजिनल सोर्स के बारे में अभी तक साफ तौर पर कोई जानकारी सामने नहीं आ पाई है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका ओरिजिनल सोर्स सांप हो सकते हैं। जबकि कुछ का मानना है कि ये चमगादड़ हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि चमदागड़ से आने वाले कोरोनावायरस और इस नए कोरोनावायरस में 90 प्रतिशत समानता है।

चमगादड़ों में बड़ी संख्या में प्राकृतिक वायरस
पिछले कुछ वर्षों में कई अध्ययनों में चमगादड़ों के लिए बड़ी संख्या में प्राकृतिक वायरस पाए गए हैं, जो अतीत में कई देशों में फैल चुके हैं। इनमें रेबीज, मारबर्ग, निपाह और हेंड्रा वायरस शामिल हैं। 2002- 2004 में दो दर्जन से अधिक देशों में फैले सार्स वायरस से 800 लोगों की जान चली गई थी। 2017 में पता चला कि इसका ओरिजनल सोर्स हॉर्सशू वैराइटी का चमगादड़ था। चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधकर्ताओं ने कई सालों के इन्वेस्टिगेशन के बाद देश के दक्षिण-पूर्वी युन्नान प्रांत मेंएक दूरदराज की गुफा में इन चमगादड़ों को खोजा था।

वायरस के कैरियर होने के बावजूद चमगादड़ कैसे जीवित रहते हैं?
रेबीज को छोड़कर चमगादड़ बीमार हुए बिना कई वायरस ले जाने में सक्षम हैं। शोध बताते हैं कि चमगादड़ों ने विकास की प्रक्रिया के माध्यम से मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित की है। अध्ययनों से पता चला है कि जब चमगादड़ उड़ते हैं, तो उनके शरीर में ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ती कोशिकाओं के डीएनए के बिट्स में टूटने से होती हैं। कोशिकाओं के डीएनए के बिट्स में टूटने से एनर्जी रिलीज होती है। जबकि अधिकांश जीव ऐसे डीएनए कणों को फॉरेन इनवेडिंग बॉडी के रूप में मानते हैं।

इस कमजोर प्रतिक्रिया के कारण, चमगादड़ इंफ्लेमेशन डेवलप नहीं करते हैं, जिससे शरीर की ऊर्जा पर काफी असर पड़ सकता है। इसी प्रोसेस के कारण माना जाता है कि चमगादड़ इतने सारे वायरसों के साथ जीवित रह सकते हैं।

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