2006 से 2016 के बीच 27 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर निकले: संयुक्त राष्ट्र

2006 से 2016 के बीच 27 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर निकले: संयुक्त राष्ट्र

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-12 09:48 GMT
2006 से 2016 के बीच 27 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर निकले: संयुक्त राष्ट्र
हाईलाइट
  • 2006 से 2016 के बीच 27.10 करोड़ भारतीयों की गरीबी हुई दूर 
  • आय
  • स्वास्थ्य
  • कामकाज की गुणवत्ता
  • हिंसा का खतरा जैसे इंडिकेटर्स रहे 
  • संयुक्त राष्ट्र ने भारत में गरीबी के आंकड़े को लेकर जारी की रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क, संयुक्त राष्ट्र। भारत तेजी से गरीबी कम करने की दिशा में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। देश में पिछले 10 साल में 27 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी के दलदल से बाहर आए हैं। इसका खुलासा संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में हुआ है। भारत में गरीबी के आंकड़े को लेकर संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि, 2006 से 2016 के बीच 27.10 करोड़ भारतीयों की गरीबी दूर हुई है। इतना ही नहीं भारत गरीबी के ग्लोबल इंडेक्स में भी सबसे ज्यादा तेजी से नीचे आया है। 

स्वास्थ्य, शिक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति से गरीबी हुई कम 
भारत में स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में हुई प्रगति से लोग गरीबी से बाहर निकल आए हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, खाना पकाने के ईंधन, साफ-सफाई और पोषण जैसे क्षेत्रों में मजबूत सुधार के साथ बहुआयामी गरीबी सूचकांक वैल्यू में बड़ी गिरावट आई है। दरअसल संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफर्ड पॉवर्टी ऐंड ह्यूमन डिवेलपमेंट इनीशएटिव (OPHI) द्वारा तैयार वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) 2019 गुरुवार को जारी किया गया। रिपोर्ट में 101 देशों में 1.3 अरब लोगों का अध्ययन किया गया। इसमें 31 न्यूनतम आय, 68 मध्यम आय और 2 उच्च आय वाले देश थे। विभिन्न पहलुओं के आधार पर ये लोग गरीबी में थे, यानी गरीबी का आंकलन सिर्फ आय के आधार पर नहीं बल्कि स्वास्थ्य की खराब स्थिति, कामकाज की खराब गुणवत्ता और हिंसा का खतरा जैसे कई संकेतकों के आधार पर किया गया। 

गरीबी में कमी देखने के लिए 10 देशों को किया गया चिन्हित
रिपोर्ट में गरीबी में कमी को देखने के लिए संयुक्त रूप से करीब दो अरब आबादी के साथ 10 देशों को चिन्हित किया गया। आंकड़ों के आधार पर इन सभी देशों ने सतत विकास लक्ष्य 1 प्राप्त करने के लिए उल्लेखनीय प्रगति की। सतत विकास लक्ष्य 1 से आशय गरीबी को सभी रूपों में हर जगह समाप्त करना। ये 10 देश बांग्लादेश, कंबोडिया, डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इथियोपिया, हैती, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पेरू, वियतनाम और भारत हैं। इन सभी देशों में गरीबी में कमी आई है। 

दक्षिण एशिया में हुई सबसे अधिक प्रगति
रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे अधिक प्रगति दक्षिण एशिया में देखी गई। भारत में 2006 से 2016 के बीच 27.10 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। बांग्लादेश में 2004 से 2014 के बीच 1.90 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। इसमें कहा गया है, चुने गए 10 देशों में भारत और कंबोडिया में MPI वैल्यू में सबसे तेजी से कमी आई और उन्होंने सर्वाधिक गरीब लागों को बाहर निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। रिपोर्ट के अनुसार, 2005-2006 में भारत में 64 करोड़ यानी 55.1% लोग गरीब थे। 2015-16 में यह संख्या घटकर 36.9 करोड़ (27.9%) रह गई। भारत की MPI वैल्यू 2005-2006 के 0.283 से घटकर 2015-16 में 0.123 रह गई। एमपीआई में कुल 10 पैमाने शामिल हैं।

जानिए क्‍या है MPI
ग्‍लोबल MPI, 101 देशों की स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और जीवनस्‍तर के आधार पर रैंकिंग करता है। 2010 में इसे ऑक्‍सफोर्ड पॉवर्टी और ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (OPHI) और यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत विकसित किया गया था। 101 देशों की 23.1 प्रतिशत जनसंख्‍या कई पैमानों पर गरीब पाई गई।

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