ब्रिटेन में रिजेक्ट हुई सुइयों का भारत में हो रहा उपयोग : रिपोर्ट

ब्रिटेन में रिजेक्ट हुई सुइयों का भारत में हो रहा उपयोग : रिपोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-09 11:28 GMT
ब्रिटेन में रिजेक्ट हुई सुइयों का भारत में हो रहा उपयोग : रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क, लंदन। भारत सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग यहां के नागरिकों की जान से किस तरह खिलवाड़ कर रहा है, इसका चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन की सरकार ने जिन सुइयों (सिरिन्ज) को रिजेक्ट कर दिया है, आज वे भारतीय अस्पतालों में पहुंच रही हैं और संभावना जताई जा रही है कि ये सुइयां कई अस्पतालों में उपयोग भी हो रही हैं।

संडे टाइम्स की एक खबर के अनुसार ब्रिटेन में इन सुइयों को नेशनल हेल्थ सर्विस ने सन 2010 में असुरक्षित घोषित कर दिया था। इसके बाद इन प्रतिबंधित ग्रीसबाय सिरिन्ज ड्राइवर्स को भारत, दक्षिण अफ्रीका और नेपाल जैसे देशों के अस्पतालों और चिकित्सा संगठनों को भेजा गया। संडे टाइम्स के अनुसार ब्रिटन ने इन सुइयों को दान किया है। ब्रिटेन ने यह कदम सुरक्षा चेतावनियों के बाद उठाया था और ये चेतावनियां साल 1995 में जारी की गई थीं। इसके बाद साल 2010 में एनएचएस से उपकरणों को चरणबद्ध तरीके से बाहर किया गया। बीते साल 2011 में एनएचएस ट्रस्ट ने अपने स्टाफ को एक आदेश जारी किया था। जिसमें ग्रेसबे की एमएस-16 और एमएस-26 सीरिंज को इस्तेमाल करने से मना किया गया था। इस दौरान इन सुइयों के बारे में कहा गया था कि ‘इन्हें विकासशील देशों के संगठनों को दान कर दिया जाएगा।’

नेपाल में एक मेडिकल चैरिटी कार्यक्रम के दौरान इन सुइयों का उपयोग किया गया था। इस बात को उस कार्यक्रम में मौजूद एक डॉक्टर ने माना था। इसके अलावा भारत में एक चैरिटी कार्यक्रम के दौरान भी एक समरसेट की नर्स ने इन सुइयों का इस्तेमाल किया था। उसी नर्स ने साल 2014 में अपने ब्लॉग में इस बात का जिक्र भी किया था। दरअसल इन सुइयों में जिस पंप का इस्तेमाल किया गया है, उससे मरीज के खून में तेजी से दवाई का संचार होता है, जो कि मरीज के लिए खतरनाक हो सकता है।

Similar News