अमेरिका की चेतावनी, रूस से S-400 डिफेंस सिस्टम खरीदा तो रक्षा संबंधों पर पड़ेगा गंभीर असर

अमेरिका की चेतावनी, रूस से S-400 डिफेंस सिस्टम खरीदा तो रक्षा संबंधों पर पड़ेगा गंभीर असर

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-31 12:07 GMT
अमेरिका की चेतावनी, रूस से S-400 डिफेंस सिस्टम खरीदा तो रक्षा संबंधों पर पड़ेगा गंभीर असर

डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। रूस से लंबी दूरी की S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने के भारत के फैसले पर ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी है। ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि इससे रक्षा संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। S-400 को रूस की सबसे उन्नत सतह से हवा में मार करने वाली लॉन्ग रेंज मिसाइल डिफेंस सिस्टम के रूप में जाना जाता है। S-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद के लिए सबसे पहले 2014 में चीन ने रूस के साथ गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट डील की थी।

भारत और रूस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच व्यापक वार्ता के बाद अक्टूबर में 5 बिलियन डॉलर S-400 एयर डिफेंस सिस्टम डील पर हस्ताक्षर किए थे। स्टेट डिपार्टमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को संवाददाताओं के एक समूह को बताया कि मॉस्को से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने का भारत का निर्णय बड़ी बात है, क्योंकि ‘काट्सा कानून’ के तहत दुश्मनों से समझौता करने वालों पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू होते हैं। ट्रंप प्रशासन पहले ही साफ कर चुका है कि इस कानून के बावजूद समझौता करने वाले देश रूस को गलत संदेश पहुंचा रहे हैं। यह चिंता की बात है।

अधिकारी ने कहा कि अगर भारत रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने के अपने फैसले पर आगे बढ़ा, तो इसका रक्षा संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। अमेरिका ने तुर्की के लिए जून की शुरुआत तक की समय सीमा निर्धारित की है, ताकि वह रूस के S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के अपने अधिग्रहण को रद्द करने का फैसला कर सके। अगर तुर्की ऐसा नहीं करता है तो फिर उसे उन्नत अमेरिकी लड़ाकू जेट कार्यक्रम से हाथ धोना पड़ सकता है।

अधिकारी ने कहा, हर मामले को व्यक्तिगत रूप से देखना होगा। हालांकि, बड़ा मुद्दा यह है कि भारत के सैन्य रिश्ते किस तरफ जा रहे हैं। किसके साथ वह आधुनिक तकनीक और बेहतर माहौल साझा करना चाहता है। क्योंकि कुछ विकल्प अन्य विकल्पों को छोड़ देते हैं, हमारे बीच कॉम्बैट एयरक्राफ्ट और कई अन्य विकसित हथियारों के समझौते पर बात चल रही है। इस बातचीत पर S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीदी का असर पड़ेगा।

अधिकारी ने कहा कि भारत वर्षों से अपने हथियारों की आपूर्ति में विविधता ला रहा है। अमेरिका का अनुमान है कि शायद 60 से 70 फीसदी हार्डवेयर सोवियत/रूस मूल के हैं। अभी भी रूस पर भारत की महत्वपूर्ण निर्भरता है। हालांकि भारत की अमेरिका से 18 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सैन्य उपकरणों की खरीद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, हम दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत के साथ अधिक सैन्य अभ्यास करते हैं। इसीलिए हम, निश्चित रूप से चल रही चर्चाओं के लिए तत्पर हैं।

यह पूछे जाने पर कि भारत ने रूस से S-400 खरीदने का निर्णय लिया क्योंकि अमेरिका इस तरह के हार्डवेयर को साझा करने के लिए तैयार नहीं था। इस पर अधिकारी ने कहा, हमारे पास ऐसे सिस्टम हैं जो प्रभावी हैं। हमारे पास अन्य प्लेटफॉर्म हैं जो बहुत प्रभावी हैं। अधिकारी ने कहा, लेकिन मुझे लगता है कि यहां एक बहुत ही सकारात्मक संदेश है। अब हम उन तरीकों में सहयोग करने में सक्षम हैं जो हम पहले नहीं कर सकते थे। 
 

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