यरुशलम : तो क्या सऊदी अरब और फिलिस्तीन भी अमेरिका के साथ हैं?

यरुशलम : तो क्या सऊदी अरब और फिलिस्तीन भी अमेरिका के साथ हैं?

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-09 17:33 GMT
यरुशलम : तो क्या सऊदी अरब और फिलिस्तीन भी अमेरिका के साथ हैं?

डिजिटल डेस्क, रियाद। यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने पर सऊदी अरब ने भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की कड़ी निंदा की हो, मगर फिलीस्तीन के कुछ अधिकारी ऐसा नहीं मान रहे हैं। नाम सार्वजनिक ना करने की शर्त पर फिलिस्तीन के 4 अधिकारियों ने बताया है कि इस मुद्दे पर पर्दे के पीछे सऊदी अरब अमेरिका के समर्थन में रहा है। अधिकारियों के मुताबिक सऊदी अरब अमेरिका की नई शांति प्रक्रिया बढ़ाने के लिए पर्दे के पीछे कई सप्ताह से काम कर रहा है।

गौरतलब है कि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच अशांति की चेतावनियों के बावजूद अमेरिका ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दी है। साथ ही ट्रंप ने अमेरिका की दशकों पुरानी नीति को बदलते हुए अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम शिफ्ट करने का आदेश दिया है। इस मामले पर अरब अधिकारियों ने गोपनीय रूप से बताया कि रियाद इजरायल-फिलिस्तीन की शांति के लिए अमेरिकी योजना की बड़ी रणनीति का हिस्सा है, यह अभी शुरुआती दौर में है। जबकि शुरूआत में सऊदी रॉयल कोर्ट ने अमेरिका के इस फैसले को अनुचित और गैरजिम्मेदार बताया था।

फिलिस्तीन के अधिकारियों ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने एक बड़े सौदे पर विस्तार से चर्चा की। ट्रंप और जारेड कुशनेर (राष्ट्रपति के दामाद और सलाहकार) 2018 के पहले छह महीनों में इस रहस्य से पर्दा उठा सकते हैं।" एक अधिकारी ने बताया कि नवंबर में रियाद में मुलाकात के दौरान प्रिंस मोहम्मद ने अब्बास से कहा कि वे अमेरिकी प्रशासन के शांति प्रयासों की कोशिशों का समर्थन करें। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि प्रिंस मोहम्मद ने अब्बास से कहा, "धैर्य रखें, आप अच्छी खबर सुनेंगे। यह शांति प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। सऊदी रॉयल कोर्ट ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया की गुजारिश का उत्तर नहीं दिया है 

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