15 अगस्त को जन्मीं जिन्ना की बेटी ने न्यूयॉर्क में ली आखिरी सांस

15 अगस्त को जन्मीं जिन्ना की बेटी ने न्यूयॉर्क में ली आखिरी सांस

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-03 07:03 GMT
15 अगस्त को जन्मीं जिन्ना की बेटी ने न्यूयॉर्क में ली आखिरी सांस

डिजिटल डेस्क,न्यूयॉर्क। पाकिस्तान के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति मोहम्मद अली जिन्ना की इकलौती संतान दीना वाडिया का गुरुवार को निधन हो गया। 15 अगस्त 1919 को लंदन में जन्मीं दीना वाडिया 98 साल की थीं और उन्होंने न्यूयॉर्क में आखिरी सांस ली। मुंबई में वाडिया ग्रुप के प्रवक्ता की ओर से जारी बयान में दीना वाडिया के देहांत की पुष्टि की गई है। दीना के परिवार में बेटे नुस्ली वाडिया, डायना वाडिया और पोते नेस और जहांगीर वाडिया हैं।

दीना जिन्ना की इकलौता बेटी और इकलौती संतान थीं। दीना ने भारतीय-पारसी कारोबारी नेवेली वाडिया से शादी की थी। भारत-पाक विभाजन के बाद दीना ने पिता के खिलाफ पति के साथ भारत में ही रहने का फैसला किया था। हालांकि बाद में वो अमेरिका में ही बस गई थीं। 

दीना का जन्म भारत-पाक विभाजन की तरह 14-15 अगस्त की दरमियानी रात हुआ था। जब जिन्ना अपनी पहली पत्नी रतनबाई के साथ एक थियएटर में थे, उस वक्त दीना ने जन्म लिया। 

मोहम्मद अली जिन्ना की मौत के बाद उनकी बेटी दीना 1948 पाकिस्तान गई थीं। दीना ने आखिरी बार 2004 में पाकिस्तान का दौरा किया था। उस दौरान पूर्व पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच देखने के लिए उन्हें आमंत्रित किया था। उनका मानना था कि क्रिकेट के जरिए दोनों देशों के बीच तनाव को कम किया जा सकता है। दीना ने लंदन में ही अपनी अंतिम सांस ली। 

दीना के निधन के बाद सोशल मीडिया पर बहुत से लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। 

कौन थीं दीना की मां?

रतनबाई जिन्ना की पहली पत्नी थीं। वो भारतीय पारसी थीं। जिन्ना से शादी के बाद उन्होंने धर्म और नाम बदल लिए थे। इस्लाम कबूलने के बाद रतनबाई मरियम जिन्ना बन गई थीं। जिन्ना और उनकी शादी के 10 साल बाद मरियम की लंबी बीमारी से मौत हो गई थी। रतत्तनबाई और जिन्ना में 24 साल की उम्र का फासला था। 

क्या थी दोनों के बाप-बेटी के बीच दूरियों की वजह?

दीना वाडिया अपनी पारसी मां की एक स्वतंत्र विचारों वाली और क्रांतिकारी सोच की महिला थीं। दोनों इस के विचार अक्सर एक दूसरे से टकराते रहे। शायद यही वजह थी कि उनकी एकलौती संतान होने के बावजूद वो अपने पिता से हमेशा दूर ही रहीं। वैचारिक मतभेदों के चलते बाप-बेटी की कभी आपस में नहीं बनीं। दोनों एक दूसरे से इस कदर अलग हो गए थे कि दीना ने देश के बंटवारे के वक्त भी अपने पिता के साथ पाकिस्तान ना जाने का फैसला किया था और उनके जिंदा रहते वो कभी पाकिस्तान नहीं गई।

बाप बेटी के बीच रिश्तों में तनाव तब शुरू हुआ जब दीना ने शादी का फैसला लिया। दीना ने जब पिता से कहा कि उन्हें नेवेली वाडिया से शादी करनी है, तो जिन्ना ने दीना से कहा कि भारत में हजारों मुसलमान हैं, लेकिन तुम्हें शादी करने के लिए सिर्फ एक पारसी ही मिला?

इसपर दीना ने जवाब दिया था, "इस देश में भी तो हजारों मुस्लिम लड़कियां थीं, लेकिन आपको शादी करने के लिए मेरी मां ही मिलीं थीं। दीना की मां रती जिन्ना भी पारसी थीं और उनके निधन के समय काफी छोटी थीं।" 

मुस्लिम नेता की छवि को बनाए रखने के लिए जिन्ना ने अपनी पारसी पत्नी रत्तीबाई (शादी के मरियम बनीं) को छोड़ दिया था और रत्तीबाई बेटी की परवरिश अकेली करने लगीं, लेकिन पति से दूरी उन्हें बर्दाश्त नहीं हुई और वो गहरे सदमें में रहने लगीं। डिप्रेशन की वजह से 30 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई। दीना ने बचपन में अपनी मां की हालत देखी थी। वो अपनी मां की हालत और मौत के लिए पिता को जिम्मेदार मानती थीं। पत्नी की तरह गैरधर्म में शादी के बाद जिन्ना ने बेटी को भी अपनी राजनीतिक छवि के लिए त्याग दिया था। 

नवेली और दीना की प्रेमकहानी

महज 17 साल की दीना एक पारसी नेवेली वाडिया को दिल दे बैंठीं थीं। दीना और नेवेली की मुलाकात 1938 में हुई थी। नेवेली उस वक्त के सबसे बड़े टेक्सटाइल इंड्रस्टियलिस्ट नैस वाडिया के बेटे थे। नेवेली और दीना के विचार काफी मिलते थे और चंद मुलाकातों के बाद दोनों ने शादी का फैसला कर लिया था।
दीना की शादी बाप-बेटी के बीच दीवार बन कर खड़ी हो गई। जिन्ना की इकलौती बेटी ने ही उनकी धारणा को तोड़ 1938 में नेवली से शादी कर ली, लेकिन नेवली और दीना की शादी भी ज्यादा दिनों तक नहीं चली और दोनों के प्यार का अंत तलाक के साथ खत्म हुआ। 
तलाक के बाद दीना ने अपने पिता से नजदीकियां भी बढ़ाई और एक पत्र भी लिखा था, लेकिन उनके रिश्तों की तल्खियां दूर ना हो सकी और वो पाकिस्तान ना जाकर, न्यूयॉर्क में बस गईं। 
 

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