लाहोर हाईकोर्ट ने लगाई हाफिज सईद की गिरफ्तारी पर रोक

लाहोर हाईकोर्ट ने लगाई हाफिज सईद की गिरफ्तारी पर रोक

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-07 14:56 GMT
लाहोर हाईकोर्ट ने लगाई हाफिज सईद की गिरफ्तारी पर रोक

डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। आतंक के आंका और मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद को पाकिस्तान की कोर्ट से राहत मिली है। लाहोर हाई कोर्ट ने हाफिज सईद की गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश सरकार को दिया है। अब पाकिस्तान सरकार हाफिज सईद को अगले आदेश तक न तो गिरफ्तार कर पाएगी न ही घर में नजरबंद कर सकेगी। दरअसल हाफिज सईद ने 23 जनवरी को अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उसने दलील दी थी कि सरकार अमेरिका और भारत के दबाव में उसे गिरफ्तार करना चाहती है।

हाफिज सईद के अदालत का दरवाजा खटखटाने के बाद संघीय सरकार और पंजाब सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। लेकिन बुधवार को हुई सुनवाई में उन्होंने इसके लिए और समय दिए जाने की  मांग की। जिसके बाद न्यायमूर्ति अमीनुद्दीन खान ने दोनों सरकारों के वकीलों को 4 अप्रैल तक अपना जवाब देने का आदेश दिया।

गौरतलब है कि सरकार ने 9 फरवरी को जमात-उद-दावा के देशभर में अलग-अलग ठिकानों पर कार्रवाई का आदेश दिया था। यह आदेश ऐंटी-टेररिजम ऐक्ट, 1997 में संशोधन वाले अध्यादेश लाने के बाद जारी किया गया था। इस अध्यादेश के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा संघ की सूची में शामिल आतंकी संगठनों और आतंकियों को प्रतिबंध के दायरे में लाना था।

9 फरवरी को मिले इस आदेश के बाद पुलिस ने इस कानून के तहत हाफिज के दोनों संगठनों की संपत्तियां जब्त करने की कार्रवाई की थी। हाफिज सईद ने इस कार्रवाई पर कहा था कि, "बिना किसी कानूनी आधार के मुझे 10 महीने तक हिरासत में रखने के बाद, सरकार अब हमारे स्कूलों, डिस्पेंसरी, ऐंबुलेंस और अन्य संपत्तियों को नियंत्रण में लेने के लिए अधिसूचना जारी कर रही है। इससे पंजाब, बलूचिस्तान, सिंध, कश्मीर (PoK) और उत्तरी भागों में चलने वाले हमारे राहत अभियानों पर असर पड़ेगा।" सईद ने ये भी कहा था कि, "यह सबसे मुश्किल वक्त है, लेकिन कार्यकर्ता शांति बनाए रखें। शासक राजाओं से ज्यादा वफादारों के रूप में काम कर रहे हैं।

इस वजह से उठाया था कदम
पेरिस में 18 से 23 फरवरी तक "फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स" की बैठक होनी थे। खबरों में कहा गया था कि अमेरिका और भारत कोशिश कर रहे हैं कि पाकिस्तान को इंटरनेशनल मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग लिस्ट में शामिल किया जाए। इस लिस्ट में पाकिस्तान को पिछली बार फरवरी 2012 में डाला गया था और वह तीन साल तक इस लिस्ट में रहा था। माना जा रहा था कि पाकिस्तान इसी वजह से इस तरह के कदम उठा रहा है।

एंटी टेरेरिज्म एक्ट में किया था बदलाव
पाकिस्तान ने अपने एंटी टेरेरिज्म एक्ट में अहम बदलाव किया था। पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने एक ऐसे अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसका मकसद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की ओर से प्रतिबंधित व्यक्तियों और लश्कर-ए-तैयबा, अल-कायदा और तालिबान जैसे संगठनों पर लगाम लगाना था। भारत और अमेरिका ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे कई देश भी पाकिस्तान पर दबाव डाल रहे थे कि वो आतंकियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। अमेरिका ने तो पाकिस्तान को दी जाने वाली मिलिट्री एड भी रोक दी थी।     

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