नासा की 50 साल बाद दोबारा इंसान को चांद पर भेजने की तैयारी हुई फेल, लॉन्चिंग काउंटडाउन के बीच रॉकेट हुआ खराब 

नासा का मिशन फेल नासा की 50 साल बाद दोबारा इंसान को चांद पर भेजने की तैयारी हुई फेल, लॉन्चिंग काउंटडाउन के बीच रॉकेट हुआ खराब 

Anupam Tiwari
Update: 2022-08-29 14:27 GMT
नासा की 50 साल बाद दोबारा इंसान को चांद पर भेजने की तैयारी हुई फेल, लॉन्चिंग काउंटडाउन के बीच रॉकेट हुआ खराब 
हाईलाइट
  • सबसे शक्तिशाली रॉकेट होने का दावा

डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी की 50 साल बाद दोबारा चांद पर इंसान को भेजने की तैयारी को करारा झटका लगा है। गौरतलब है कि सोमवार को आर्टिमस-1 मिशन के तहत नासा के अब तक के सबसे शक्तिशाली रॉकेट स्पेस लॉन्च सिस्टम को लॉन्च किया जाना था लेकिन यह लॉन्चिंग काउंटडाउन के दौरान केवल 40 मिनट में ही रोकनी पड़ी। लॉन्चिंग रोकने की वजह बनी ऐन मौके पर स्पेसक्राफ्ट के फ्यूल सिस्टम में दिखी गड़बड़ी। इस गड़बड़ी को ठीक करने के लिए हाइड्रोजन टीम आर्टिमस-1 के लॉन्च डायरेक्टर से बात कर रही है।

रॉकेट को यहां से लांच किया जाना था

खबरों के मुताबिक, रॉकेट को अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य के केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाना था। अमेरिकी समयानुसार यह लॉन्चिंग सुबह करीब 8 बजकर 33 मिनट पर जबकि भारतीय समयानुसार शाम करीब 6 बजकर 03 मिनट पर होनी थी लेकिन भारतीय समय के हिसाब से इसका काउंटडाउन करीब 5 बजे रोक दिया गया। नासा ने इस बात की जानकारी ट्वीट कर भी दी है।

सबसे शक्तिशाली रॉकेट होने का दावा

बताया जा रहा है कि नासा ने एसएलएस के अब तक का सबसे ताकतवर रॉकेट होने का दावा किया है। करीब 98 मीटर लंबे एसएलएस का वजह 2600 किलोग्राम है। नासा के अनुसार, रॉकेट में कल पूरी रात 30 लाख लीटर अल्ट्रा कोल्ड लिक्विड हाइड्रोजन फ्यूल भरा गया था, लेकिन ऑक्सीजन ईंधन भरने का काम उस वक्त रोक दिया गया था। इस समय बताया गया था कि ऑक्सीजन भरने से आग लगने का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए उड़ान से ठीक पहले रॉकेट में भरा जाना अच्छा रहेगा।

लॉन्चिंग से पांच घंटे पहले ही समस्या उत्पन्न

अमेरिकी समय के मुताबिक, सुबह करीब तीन बजे रॉकेट में फ्यूल लीकेज की समस्या टीम को दिखाई दी। यह लीकेज रॉकेट के मेन भाग में मौजूद हाइड्रोजन फ्यूल टैंक में थी, जिसके चलते रॉकेट में ब्लास्ट होने की संभावना बढ़ सकती थी। इसी वजह से फ्यूल भरने का काम उसी वक्त रोक दिया गया था। हालांकि बाद में फ्यूल टैंक के कई टेस्ट भी किए गए थे। इन टेस्ट में लीकेज नहीं दिखने से फिर से फ्यूल भरने का काम शुरू किया गया। इस बात की जानकारी नासा की ओर से ट्वीट कर भी दी गई।

 
 

 

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