पाकिस्तान ईशनिंदा: 28 साल में 69 अल्पसंख्यकों को मिली फांसी, मौत का इंतजार कर रहे 40 लोग

पाकिस्तान ईशनिंदा: 28 साल में 69 अल्पसंख्यकों को मिली फांसी, मौत का इंतजार कर रहे 40 लोग

Bhaskar Hindi
Update: 2018-11-05 08:35 GMT
पाकिस्तान ईशनिंदा: 28 साल में 69 अल्पसंख्यकों को मिली फांसी, मौत का इंतजार कर रहे 40 लोग
हाईलाइट
  • आसिया बीबी के लिए जिंदगी की राह काफी कठिन
  • कट्टरपंथियों की नजरों में आसिया ईशनिंदा के लिए गुनहगार
  • चरमपंथी कर रहे हैं आसिया को फांसी देने की मांग

डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। पाकिस्तान में ईशनिंदा के मामले से बरी हुईं आसिया बीबी के लिए जिंदगी की राह अभी काफी कठिन है। कोर्ट में तो आसिया ने अपनी बेगुनाही साबित कर दी, लेकिन इस्लामिक कट्टरपंथियों की नजरों में वो ईशनिंदा के लिए गुनहगार हैं। पाकिस्तान के दर्जनों चरमपंथी संगठन आसिया बीबी को सजा देने की मांग कर रहे हैं, उनके वकील ने पाकिस्तान छोड़कर यूरोप में पनाह ले ली है तो वहीं पाकिस्तान की सरकार ने आसिया के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है।

 

सरकार के इस कदम को कट्टरपंथियों के सामने घुटने टेकने के समान माना जा रहा है। पाकिस्तान में अब तक 69 लोगों को ईशनिंदा कानून के तहत मौत की सजा दी जा चुकी है, जबकि 40 लोग ऐसे भी हैं, जो सजा दिए जाने का जेल में इंतजार कर रहे हैं। ईशनिंदा कानून की नींव ब्रिटिश शासनकाल में ही रख दी गई थी। 1927 में इसका विस्तार किया गया। पाकिस्तान का बंटवारा होने के बाद 1980 से 86 के बीच इस कानून में धाराएं बढ़ा दी गईं। ब्रिटेन के शासनकाल के दौरान ये आम कानून बनाया गया था।

 

कानून के मुताबिक जानबूझकर किसी पूजा करने की वस्तु या जगह को नुकसान या फिर धार्मिक सभा में खलल डालने पर दंडित किया जाएगा। अगर कोई किसी की धार्मिक भावनाओं का अपमान लिखकरए बोलकर  या कुछ दृष्यों से करता है तो वो भी कानून के उल्लंघन की श्रेणी में आएगा। इस कानून के तहत पाकिस्तान में सबसे ज्यादा अल्पसंख्यकों को ही सुनाई गई है। बता दें कि बंटवारे के बाद पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या 15 प्रतिशत थी जो अब घटकर 2 प्रतिशत के आसपास रह हई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस कानून का उपयोग लोग निजी दुश्मनी के लिए भी करते है।

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