पाकिस्तानी आर्मी चीफ ने कहा-शांति से भी सुलझाया जा सकता है कश्मीर मुद्दा

पाकिस्तानी आर्मी चीफ ने कहा-शांति से भी सुलझाया जा सकता है कश्मीर मुद्दा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-15 15:30 GMT
पाकिस्तानी आर्मी चीफ ने कहा-शांति से भी सुलझाया जा सकता है कश्मीर मुद्दा

डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। काफी समय से कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले पाकिस्तान ने पहली बार इस मुद्दे पर अपनी बोली बदली है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने कश्मीर मुद्दे पर बोलते हुए कहा है कि भारत और पाकिस्तान इस मुद्दे को बातचीत और शांति के साथ भी सुलझा सकता है। बाजवा ने दोनों देशों से समबंधित अन्य मुद्दों को भी बातचीत के द्वारा ही निपटने की बात कही। काबुल में स्थित पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी में पासिंग आउट परेड के कार्यक्रम के दौरान बाजवा ने कहा, "मेरा गंभीर रूप से मानना है कि भारत-पाक विवाद के समाधान का रास्ता शांतिपूर्ण और मिलजुल कर की गई बातचीत के द्वारा निकला जा सकता है, जिसमें कश्मीर का मुख्य मुद्दा भी शामिल है।"

पाकिस्तान पर थोपा जा रहा है युद्ध 
कडेट्स को संबोधित करते हुए बाजवा ने कहा कि, "हमारी शांति को किसी भी तरह से कमजोरी का प्रतीक नहीं समझा जाना चाहिए। हमारी सेनाएं किसी भी परिस्थिति से निपटने और उसका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हर समय पूरी तरह से तैयार हैं।" आर्मी चीफ ने कहा कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय की मांग के अधिकार का पूरी तरह से राजनीतिक और नैतिक समर्थन करता है। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान इन कोशिशों को जारी रखने के लिए प्रयासरत है लेकिन यह उसकी मजबूरी नहीं है, बल्कि उसका मकसद पाकिस्तान को सुरक्षित, समृद्ध और प्रगतिशील बनाना है, लेकिन पाकिस्तान को कमजोर करने के लिए उस पर युद्ध थोपा जा रहा है।" 

पड़ोसियों के साथ चाहता है सह-अस्तित्व 
बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान शांतिप्रीय मुल्क है और वह सभी देशों के साथ विशेषकर पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण सह अस्तित्व चाहता है। बता दें पाक आर्मी चीफ का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब पाकिस्तान को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद और कश्मीर के मुद्दे पर कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि आर्मी चीफ के इस बयान से पाकिस्तान के भारत के प्रति रवैये में कोई खास परिवर्तन नहीं आएगा। बाजवा ने कहा, "हालांकि यह बातचीत किसी एक पक्ष के तरफ से हो यह काफी नहीं होगा, लेकिन यदि ऐसा होता है यह पूरे क्षेत्र में शांति की अनिवार्यता जरूरी है। पाकिस्तान इस तरह की बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन यह बातचीत सार्वभौम समानता और सम्मान के आधार पर होनी चाहिए।" 

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